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भीलवाड़ा लोकजीवन (लोकेश सोनी)। शहर के आचार्य महाप्रज्ञ सर्कल के सामने स्थित अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की आदमकद प्रतिमा आज बदहाली का शिकार है। जिस स्थान को राष्ट्रभक्ति और प्रेरणा का प्रतीक बनना चाहिए था, वहां अब गंदगी, जर्जरता और प्रशासनिक लापरवाही का बोलबाला है। यह दृश्य न केवल शहर की सुंदरता को बिगाड़ रहा है, बल्कि शहीदों के सम्मान पर भी गहरा प्रश्नचिह्न लगा रहा है। प्रतिमा की रंगत पूरी तरह उड़ चुकी है और उस पर दरारें साफ नजर आती हैं। आसपास का चबूतरा टूटा हुआ है, टाइल्स उखड़ चुकी हैं और जगह-जगह सूखे पत्ते, कचरा व मलबे के ढेर जमा हैं। परिसर की चारदीवारी कई स्थानों से टूटी हुई है, जिसके कारण यह स्थान अब एक वीरान मैदान जैसा प्रतीत होता है। टूटी दीवारों के पास कीचड़ और गंदा पानी जमा है, जो सफाई व्यवस्था की पोल खोल रहा है। इन हालातों को देखकर साफ झलकता है कि वर्षों से यहां रखरखाव का कोई कार्य नहीं हुआ। यह स्थिति तब और अधिक विडंबनापूर्ण लगती है जब देशभर में नए स्मारक और मूर्तियां स्थापित करने की होड़ मची हुई है। सवाल उठता है कि जब नए शहीद स्थलों के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जा सकते हैं, तो पहले से मौजूद इस ऐतिहासिक स्थल की अनदेखी क्यों? क्या हमारे शहीदों को केवल उत्सवों और समारोहों में याद करने तक ही सीमित कर दिया गया है?
आवाम की आवाज, जल्द हो प्रतिमा का जीर्णोद्धार
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह शहर की अस्मिता और गर्व का प्रश्न है। उनका आरोप है कि नगरीय निकाय और जिला प्रशासन ने इस स्थल के रखरखाव की कभी गंभीरता से चिंता नहीं की। नागरिकों ने मांग की है कि शहरी निकाय तत्काल संज्ञान लेकर प्रतिमा का जीर्णोद्धार, परिसर की सफाई, दीवारों की मरम्मत और उचित सौंदर्यीकरण की व्यवस्था सुनिश्चित करे। साथ ही, वहां नियमित रखरखाव के लिए जिम्मेदार कर्मियों की नियुक्ति भी की जाए ताकि भविष्य में यह स्थिति दोबारा न उत्पन्न हो।
यह प्रतिमा नहीं, राष्ट्रनायक के सम्मान की बात
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह केवल एक प्रतिमा की नहीं, बल्कि राष्ट्रनायकों के सम्मान की बात है। शहीद चंद्रशेखर जैसे अमर वीर जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए प्राण न्योछावर कर दिए, उनके प्रति यह उपेक्षा अस्वीकार्य है। प्रशासन को चाहिए कि वह शीघ्र कार्रवाई करते हुए इस स्थान को शहर का गौरव स्थल बनाए, ताकि आने वाली पीढिय़ां यहां से देशभक्ति की प्रेरणा ले सकें।
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