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जिंदगी और मौत के बीच झूलती 600 ग्राम की बालिका, पालना घर ने जगाई नई उम्मीद
By Lokjeewan Daily - 13-11-2025

-लोकेश सोनी-

- एमजीएच के पालने में आई प्रीमेच्योर नवजात, एनआईसीयू  में भर्ती बालिका वेंटीलेटर पर 

भीलवाड़ा लोकजीवन। जिले के महात्मा गांधी जिला चिकित्सालय का 'पालना घर' गुरुवार को सुबह एक ऐसी दर्दभरी कहानी का गवाह बना, जिसने हर किसी के दिल को झकझोर दिया। सुबह ठीक 11.32 बजे, पालने में किसी ने मात्र 600 ग्राम की एक नवजात बालिका को छोड़ा और चला गया। बालिका का इतना कम वजन उसके जीवन पर एक गहरा संकट बनकर टूट पड़ा है।

बेल बजी और शुरू हुई संघर्ष गाथा

जैसे ही बालिका पालने में आई, स्वतः बजने वाली बेल ने एनआईसीयू  स्टाफ को तुरंत अलर्ट किया। स्टाफ ने फुर्ती दिखाते हुए बालिका को अंदर लिया और तत्काल भर्ती किया। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. इंदिरा सिंह चौहान ने जब बालिका को देखा तो उसकी नाजुक स्थिति ने सबकी चिंता बढ़ा दी। वजन बेहद कम होने के साथ-साथ उसे गंभीर कमजोरी थी और सांस लेने में भी अत्यधिक दिक्कत आ रही थी। बिना देर किए, बालिका को वेंटिलेटर पर रखा गया है। फिलहाल, 600 ग्राम की यह 'नन्ही परी' जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है। चिकित्सालय का पूरा स्टाफ, एक साथ मिलकर, उसकी हर सांस को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है।

नाम मिला 'जीविका', अब जिंदगी की आस

इस संवेदनहीन घटना के बीच, बाल कल्याण समिति अध्यक्ष चंद्रकला ओझा ने एक मानवीय पहल करते हुए बालिका को एक नया और सार्थक नाम दिया है – जीविका। यह नाम सिर्फ एक पहचान नहीं, बल्कि उसके जीवन की आस है। 'जीविका' यानी जीवन का आधार। उम्मीद है कि यह नाम इस नन्ही सी जान में जीने की नई ऊर्जा भरेगा। डॉक्टर और नर्सें हर पल उसके स्वास्थ्य पर नजर रखे हुए हैं। महात्मा गांधी चिकित्सालय के अधीक्षक डॉक्टर अरुण कुमार गौड़  ने आमजन से भी 'जीविका' के लिए दुआ करने की अपील की है, ताकि वह जिंदगी की यह बड़ी जंग जीत सके। जीविका का यह संघर्ष दिखाता है कि समाज में कहीं संवेदनहीनता है, तो कहीं डॉक्टर और स्टाफ के रूप में 'देवदूत' भी मौजूद हैं जो हर हाल में जीवन को बचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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