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मेडिकल कॉलेज में रैगिंग का प्रयास, प्रशासन को भनक लगी तो सीनियर भागे
By Lokjeewan Daily - 14-11-2025

- लोकेश सोनी-
- एंटी-रैगिंग स्क्वॉड की चौकसी पर उठे सवाल
- कॉलेज हॉस्टल की चारदीवारी में यह कहां तक सहीं
भीलवाड़ा लोकजीवन।  सांगानेर के राजमाता विजया राजे सिंधिया मेडिकल कॉलेज में हाल ही में एक ऐसी फिल्म  का प्रीमियर होने वाला था, जिसकी स्क्रिट शायद 3 इडियट्स से चोरी की गई थी। कुछ बेकाबू सीनियर छात्रों ने जूनियर बच्चों के साथ रैगिंग का प्रयास किया, जिसे किसी भी फिल्मी विलेन की तरह  नाम क्या है? पूछने के क्लासिक डायलॉग के साथ शुरू किया गया। दरअसल,मेडिकल कॉलेज में बीती रात को एक गंभीर घटना टलते-टलते बची। कुछ सीनियर छात्रों ने जूनियर बैच को धमकाते हुए रैगिंग का प्रयास किया। मामला शुरू होते ही एंटी-रैगिंग स्क्वॉड हरकत में आया और सीनियर मौके से भाग खड़े हुए। घटनाक्रम ने कॉलेज की सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, कॉलेज में सीनियर छात्रों का समूह  रात करीब 8.15 बजे जूनियरों से नाम और परिचय पूछते हुए दबाव बनाने लगे। शुरुआत हल्के-फुल्के सवालों से हुई, लेकिन धीरे-धीरे मामला मानसिक प्रताडऩा और अनर्गल फरमाइशों की ओर मुडऩे लगा। इसकी भनक कॉलेज प्रशासन को कैसे लगी पता नहीं लेकिन  एंटी-रैगिंग  स्क्वॉड तत्काल मौके पर पहुंचा। स्क्वॉड के आते ही सीनियर छात्र वहां से भाग निकले। उधर इस घटना के बाद जागे प्रशासन का कहना है कि कॉलेज में रैगिंग के प्रति जीरो टॉलरेंस है और दोषी छात्रों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, सवाल यह है कि जब कानून इतने सख्त हैं, तो रैगिंग की शुरुआत ही क्यों होने दी गई? हॉस्टल में निगरानी तंत्र और नियमित निरीक्षण की कमी इस घटना में साफ उजागर हो गई।
एंटी-रैगिंग स्क्वॉड की सक्रियता पर प्रश्नचिह्न
इस ताज़ा प्रकरण ने एंटी-रैगिंग स्क्वॉड की सक्रियता पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया है। स्क्वॉड का गठन सिर्फ कागजों तक सीमित रह गया है। न नियमित निरीक्षण, न छात्र संवाद, न रोकथाम की कोई पुख्ता व्यवस्था ऐसे में एंटी स्क्वॉड का अस्तित्व सिर्फ  घटना के बाद हाजिरी तक सिमटकर रह जाता है। मेडिकल कॉलेज का काम डॉक्टर तैयार करना है, न कि डर और दबाव का माहौल। रैगिंग को रोकना पोस्टर लगाने से नहीं, बल्कि जमीनी चौकसी, नियमित गश्त, छात्र विश्वास और कड़े प्रशासनिक कदमों से होगा। यदि एंटी-रैगिंग टीम अब भी जाग्रत नहीं हुई, तो अगली बार नुकसान सिर्फ प्रतिष्ठा का नहीं, छात्रों के भविष्य का भी हो सकता है।

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