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- प्रशासन का प्रयास अनियंत्रित मधुमेह पर सीधा वार
- सोमवार और गुरुवार को लगेंगे विशेष शिविर
भीलवाड़ा लोकजीवन। जिले में मधुमेह (डायबिटीज) के बढ़ते मामलों और अनियंत्रित शुगर लेवल से जूझ रहे हजारों मरीजों के लिए महात्मा गांधी अस्पताल ने एक महत्वपूर्ण और अभूतपूर्व पहल की शुरुआत की है। जन स्वास्थ्य को केंद्र में रखकर शुरू किया गया मिशन शुगर कंट्रोल सोमवार को औपचारिक रूप से शुरू हो गया है। इस मिशन के तहत, एमजीएच परिसर में अब सप्ताह के दो दिन—सोमवार और गुरुवार को मेडिकल ओपीडी में विशेष डायबिटीज जांच शिविर आयोजित किए जाएंगे। अस्पताल प्रशासन का मुख्य फोकस उन सभी मरीजों पर रहेगा जिनका ब्लड शुगर लेवल लगातार अनियंत्रित बना हुआ है। इस पहल की महत्ता को बताते हुए, अस्पताल प्रशासन ने पहले ही 3,000 मरीजों को सूचीबद्ध कर लिया है, जिन्हें एसएमएस और कॉल के माध्यम से इन शिविरों में आने का बुलावा दिया जा रहा है।
शिविर में होंगी सभी जरूरी और एडवांस जांचें
इन विशेष शिविरों को केवल सामान्य जांच तक सीमित नहीं रखा गया है, बल्कि इनमें अंग-विशेष की गहन स्क्रीनिंग की जाएगी। जांचों की यह व्यापक सूची मरीजों को गंभीर जटिलताओं की पहचान समय रहते करने में मदद करेगी। बीपी व शुगर, तीन महीने का औसत शुगर, सी-पेप्टाइड, सीरम इन्सुलिन, किडनी व लीवर में माइक्रो एल्ब्यूमिन, किडनी फंक्शन, टीएसएच, एसजीओटी और एसजीपीटी लीवर फंक्शन, आंखों की फंड्स जांच और रेटिना पद की विस्तृत जांच, नसों में शुरुआती बदलावों की पहचान की जाएगी।
मिशन शुगर कंट्रोल की आवश्यकता इसलिए जरूरी
एमजीएच के अधीक्षक, डॉ. अरुण कुमार गौड़, ने इस मिशन शुगर कंट्रोल की आवश्यकता और महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अनियंत्रित शुगर शरीर के विभिन्न अंगों पर धीरे-धीरे गंभीर प्रभाव डालती है। यह एक ऐसी खामोश बीमारी है जिसका अंदरूनी नुकसान शुरुआती चरण में अक्सर बिना किसी लक्षण के लगातार बढ़ता रहता है। लगातार बढ़ा हुआ शुगर लेवल आंखों की रेटिना, किडनी, लीवर और नसों को सबसे पहले प्रभावित करता है। दुर्भाग्य से, कई बार मरीज तब अस्पताल पहुंचते हैं जब क्षति काफी हद तक हो चुकी होती है, जैसे आंखों की रोशनी कमजोर होना या किडनी फेलियर की स्थिति बनना। गौड़ ने आगे जोर देते हुए कहा कि ऐसे में, समय पर और विस्तृत जांच करवाना बीमारी को नियंत्रित करने और इन जानलेवा जटिलताओं को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है। यदि मधुमेह रोगी हर तीन से छह महीने में इन विस्तृत जांचों को करवा लें तो गंभीर जटिलताओं का खतरा काफी कम किया जा सकता है। इसलिए, हमने एमजीएच में डायबिटीज का यह विशेष जांच शिविर सप्ताह में दो बार शुरू किया है।
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