It is recommended that you update your browser to the latest browser to view this page.

Please update to continue or install another browser.

Update Google Chrome

शहर में खुले मैनहोल, हादसों को खुला निमंत्रण, जिम्मेदार मौन
By Lokjeewan Daily - 19-11-2025

- गांधी नगर में सीवरेज का सैलाब
-  नरक से भी बदतर हो रहे हालात
भीलवाड़ा। शहर में विकास के बड़े-बड़े दावे करने वाली नगरीय निकाय की व्यवस्थाओं पर प्रश्नचिह्न लग गया है। शहर के रिहायशी इलाकों में खुले पड़े मैनहोल जहां खुले हादसों को निमंत्रण दे रहे हैं, वहीं जिम्मेदार महकमे आंखें मूंदकर बैठे हैं। शहर की जनता हर पल जान जोखिम में डालकर चलने को मजबूर है, लेकिन सब चलता है की मानसिकता पाले बैठे अफसरों को शायद किसी बड़े हादसे का इंतजार है। यही नहीं, शहर के  ांधी नगर क्षेत्र की पुरानी आरटीओ रोड पर निम्बार्क आश्रम के पास की स्थिति तो और भी दयनीय है। यहां ओवरफ्लो होती सीवरेज लाइन का गंदा पानी सडक़ पर बह रहा है, जिससे रास्ते पर कीचड़ का साम्राज्य पसर गया है। गंदगी और जलभराव के कारण सडक़ पर गहरे गड्ढे बन चुके हैं, जिसने इस महत्वपूर्ण मार्ग को नर्क-द्वार में बदल दिया है। इस बदहाली ने स्थानीय निवासियों और राहगीरों का जीना मुहाल कर दिया है, लेकिन विडंबना देखिए, जनता की इस तकलीफ से इन निकायों को कोई फर्क नहीं पड़ता। शहर के अलग-अलग इलाकों में कई मैनहोल खतरनाक तरीके से खुले पड़े हैं। खासकर रात के समय या बारिश के दौरान ये  डेथ ट्रैप बन जाते हैं। स्थानीय लोगों ने कई बार इसकी शिकायत नगर निगमऔर यूआईटी को की, लेकिन हर बार उन्हें झूठे आश्वासन और ठोस कार्रवाई का अभाव ही मिला। यह लापरवाही दर्शाती है कि आम जनता की सुरक्षा इन जिम्मेदारों की प्राथमिकताओं में कहीं नहीं है। शहर में खुले मैनहोल किसी भी समय, विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं।
गांधी नगर बनागंदगी और बदबू का केंद्र
गांधी नगर में निम्बार्क आश्रम के पास सीवरेज ओवरफ्लो की समस्या स्थायी हो गई है। सडक़ों पर बहता यह दूषित पानी न केवल दुर्घटनाओं का कारण बन रहा है, बल्कि इससे फैल रही भयंकर बदबू ने आसपास के लोगों का स्वास्थ्य भी खतरे में डाल दिया है। सीवरेज के पानी से बनने वाले गड्ढे और कीचड़ वाहनों के फिसलने और पैदल चलने वालों के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं। शहर के बीचों-बीच ऐसी घोर लापरवाही व्यवस्था के संवेदनशील होने के दावों पर करारा तमाचा है। क्या शहर की जनता गंदे पानी और गड्ढों में गिरकर चोटिल होने के लिए अभिशप्त है? जनता का सवाल साफ है कि भीलवाड़ा शहर को सुंदर और विकसित बनाने की जिम्मेदारी लेने वाले ये विभाग कब अपनी कुंभकर्णी नींद से जागेंगे और इन खतरनाक स्थितियों को ठीक करेंगे? क्या किसी बड़े नुकसान के बाद ही सरकारी फाइलें चलेंगी। 

अन्य सम्बंधित खबरे