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- मेडिकल कॉलेज ब्लू लाईटिंग से जगमगाया
- 24 नवंबर तक कॉलेज में होंगे विभिन्न कार्यक्रम
भीलवाड़ा। एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस यानी रोगाणुरोधी प्रतिरोधक क्षमता का बढऩा पूरे विश्व के लिए एक खतरनाक चुनौती बन गया है। इस खामोश महामारी के प्रति जागरूकता लाने के लिए, चिकित्सा जगत, स्वास्थ्यकर्मी और आम जनता को एकजुट करने के लिए 24 नवंबर तक एंटीमाइक्रोोबियल जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है। एंटीमाइक्रोबियल दवाइयों, जैसे एंटीबायोटिक्स, का बेतरतीब इस्तेमाल रोगाणुओं को इन दवाओं के प्रति प्रतिरोधी बना रहा है। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2019 में ्ररूक्र के कारण 10.27 लाख से अधिक मरीजों की मौत हुई। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो वर्ष 2050 तक इस वजह से स्वास्थ्य सेवाओं पर एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का अतिरिक्त खर्च आएगा। इस गंभीर विषय पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) और आरवीआरएस मेडिकल कॉलेज के सहयोग से मेडिकल कॉलेज भवन पर नीली रोशनी (ब्लू लाइटिंग) की गई है, जो इस वैश्विक खतरे के प्रति एक मूक आह्वान है।
हैंड हाइजीन पर स्टूडेंट्स का नाटक, संंक्रमण पर सीधे वार
सप्ताह के मुख्य कार्यक्रम के तहत 20 नवंबर को दोपहर 3 बजे से जागरूकता सेमिनार आयोजित किया जाएगा। मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल और नियंत्रक डॉ. वर्षा अशोक सिंह ने बताया कि इसमें माइक्रोबायोलॉजी विभाग की डॉ. महिमा माखीजा और फार्माकोलॉजी विभाग के डॉ. अभिषेक जैन विस्तृत प्रेजेंटेशन देंगे। मेडिकल कॉलेज के छात्र-छात्राएं नृत्य और नाटक के माध्यम से हैंड हाइजीन (हाथों की स्वच्छता) के जरिए संक्रमण नियंत्रण के महत्वपूर्ण पाठ को सरल तरीके से समझाएंगे।
चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ और केमिस्ट भी लेंगे हिस्सा
महात्मा गांधी अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अरुण गौड़ ने बताया कि इस महत्वपूर्ण सेमिनार में चिकित्सक, नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ के साथ-साथ केमिस्ट भी भाग लेंगे। उन्होंने सभी वर्गों से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि आमजन में जागरूकता पैदा कर ही ्ररूक्र के कारण पैदा होने वाली खतरनाक स्थिति से बचा जा सकता है।
डॉक्टर की सलाह पर ही एंटीबायोटिक्स लेने की अपील
डॉ. फरियाद मोहम्मद, स्टेट कॉर्डिनेटर, स्टेट आईएमए एएमआर स्टैंडिंग कमेटी राजस्थान, ने सभी से गंभीर अपील की है कि आवश्यक होने पर ही: एंटीमाइक्रोबियल दवाओं का उपयोग केवल चिकित्सक की सलाह पर ही करें। दवा की निर्धारित मात्रा और पूरी अवधि के लिए इस्तेमाल सुनिश्चित करें। संक्रमण को रोकने के लिए बार-बार हाथ धोएं और व्यक्तिगत स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
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