
It is recommended that you update your browser to the latest browser to view this page.
Please update to continue or install another browser.
Update Google Chromeब्रेकिंग न्यूज़
भीलवाड़ा। जिले के सबसे बड़े सरकारी चिकित्सा संस्थान महात्मा गांधी अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ की कमी लंबे समय से स्वास्थ्य सेवाओं के लिए चुनौती बनी हुई है। इसी बीच जिला स्वास्थ्य समिति ने विभिन्न केंद्रों से कुल दस नर्सिंगकर्मियों को महात्मा गांधी अस्पताल में पदस्थापित करने के आदेश जारी किए हैं। आदेश के अनुसार, संबंधित चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इन नर्सिंगकर्मियों को तुरंत कार्यमुक्त करें ताकि वे शीघ्र अस्पताल में सेवाएं शुरू कर सकें। हालांकि आठ सौ बिस्तरों वाले इस विशाल अस्पताल में केवल दस नर्सिंगकर्मियों का मिलना ऊंट के मुंह में जीरा साबित होगा। हर दिन हजारों की संख्या में आने वाले मरीजों, बढ़ते ऑपरेशन, प्रसव सेवाओं, आपातकालीन और गहन चिकित्सा इकाइयों के दबाव को देखते हुए अस्पताल को तत्काल कम से कम चालीस नर्सिंगकर्मियों की आवश्यकता है। तभी मरीजों को गुणवत्ता पूर्ण देखभाल और समय पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। जिन नर्सिंगकर्मियों को महात्मा गांधी अस्पताल भेजा गया है, उनमें वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी विनोद सोनी को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सवाईपुर से, नीतू बैरवा को शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बापूनगर से, गोपाली धाकड़ को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगानेर से, करिश्मा मैहर को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सुभाषनगर से, माया कुमारी मीणा को शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र चपरासी कॉलोनी से, रेखा खटीक को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सांगानेर गेट से, कमलेश कुमार शर्मा को शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सुभाषनगर से, नरेश भट्ट और सुशीला मीणा को शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बिजौलिया से तथा मोनिका जोशी को जिला चिकित्सालय शाहपुरा से स्थानांतरित किया गया है। ऐसे में वहां भी अव्यवस्था होने की संभावना बढ़ गई है। दस नर्सिंगकर्मियों का मिलना राहत की शुरुआत जरूर है, लेकिन इससे व्यवस्था में बहुत बड़ा सुधार अपेक्षित नहीं है। अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ का अनुपात पहले से ही मानकों से काफी कम है। आठ सौ बिस्तरों पर इलाज चल रहा है, जबकि नर्सिंगकर्मी संख्या काफी कम है। ऐसे में सिर्फ दस नए नर्सिंगकर्मियों से स्थिति में खास बदलाव आना मुश्किल है। कम से कम चालीस नर्सिंगकर्मी तत्काल मिल जाएं, तभी अस्पताल की सेवाओं की गुणवत्ता बेहतर होगी और मरीजों को समय पर देखभाल मिल सकेगी। अस्पताल में रोजाना बड़ी संख्या में प्रसव, शल्य चिकित्सा, आपातकालीन उपचार और गंभीर मरीजों की निगरानी का दबाव रहता है। नर्सिंग स्टाफ की कमी के कारण दवा वितरण, मरीजों की देखरेख, रिपोर्टिंग और नियमित निगरानी जैसी सेवाओं पर असर पड़ता है। कई बार नर्सिंगकर्मी अत्यधिक दबाव में काम करते हैं, जिससे सेवा गुणवत्ता में कमी आना स्वाभाविक है। कुल मिलाकर, दस नर्सिंगकर्मियों का मिलना स्वागत योग्य कदम है, लेकिन महात्मा गांधी अस्पताल जैसे विशाल संस्थान के लिए यह संख्या बहुत कम है। स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने और मरीजों को बेहतर उपचार उपलब्ध कराने के लिए नर्सिंग स्टाफ की संख्या में पर्याप्त बढ़ोतरी करना अब समय की मांग बन चुका है।
राजस्थान विधानसभा में ‘वंदे मातरम् दीर्घा’ की शुरुआत, देवनानी बो . . .
2025-11-27 12:41:26
मुख्य सचिव की बड़ी चेतावनी : अब योजनाओं में देरी बर्दाश्त नहीं . . .
2025-11-27 12:37:30
राजस्थान मंडप में राजस्थान के प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों के मॉडल, कला . . .
2025-11-26 12:05:51
नगर निगम जयपुर द्वारा प्रदूषण नियंत्रण हेतु विशेष टीमों का किया ग . . .
2025-11-27 12:23:24
नमकीन भंडार में आग की लपटें, छह दमकलों ने घंटों बाद पाया काबू . . .
2025-11-27 12:20:41
जयपुर में लो-फ्लोर बस हड़ताल दूसरे दिन भी जारी . . .
2025-11-26 12:01:52