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राजस्थान हाईकोर्ट ने बच्चों की कस्टडी से जुड़े एक मामले में महत्वपूर्ण फैसला दिया है। जस्टिस पंकज भंडारी की अदालत ने 11 साल की एक बच्ची और उसके छोटा भाई (7) के यूट्यूब इस्तेमाल को लापरवाही मानते हुए दादा-दादी से उनकी कस्टडी छीनकर मां को सौंप दी। बीते वर्ष पिता की मौत के बाद बच्चे दादा-दादी के पास रह रहे थे।
अदालत ने अपने आदेश में कहा- '11 साल की बच्ची खुद वीडियो बना रही है, एडिट कर रही अपलोड कर रही है, लेकिन उसके दादा-दादी ने कभी यह नहीं देखा कि वह क्या कर रही है? ये गंभीर लापरवाही है।'
यह बातें अदालत ने बच्ची द्वारा अपलोड किए गए कुछ वीडियो देखने के बाद कहीं। हाईकोर्ट का यह पूरा फैसला क्या है, हमने याचिका से जुड़े दोनों पक्षों से बात कर जाना। पढ़िए- ये रिपोर्ट
सबसे पहले जानते हैं मामला क्या था? यह मामला जयपुर के आमेर क्षेत्र के बुजुर्ग दंपती और उनकी बहू के बीच बच्चों की कस्टडी पाने से जुड़ा है। पिता की मौत के बाद दो बच्चे मां की बजाय अपने दादा-दादी के पास रह रहे थे। अपने बच्चों (बच्ची की उम्र 11 वर्ष और बच्चे की 7 वर्ष) को कस्टडी में लेने के लिए मां ने कोर्ट में याचिका लगाई थी।
उसी याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए 21 जनवरी को फैसला मां के पक्ष में सुनाया। बच्चों की कस्टडी दादा-दादी से छीनकर मां को सौंप दी। इस फैसले का सबसे बड़ा आधार बना बच्ची का यूट्यूब चैनल और उस पर अपलोड की गई रील्स-वीडियो। इनमें कई वीडियो ऐसे भी थे, जो इंजेक्शन के साथ स्टंटबाजी के थे।
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