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उत्तर भारत की प्रमुख वैष्णव पीठ श्री गलता तीर्थ में 521 सालाें से चली आ रही आध्यात्मिक परंपराएं टूट रही है। 23 दिन से भगवान काे फूल-मालाएं ही नहीं पहनाई गई। इसके अलावा भगवान की भाेग थाली से सब्जियां भी गायब हैं। राजभाेग में केवल दाल-राेटी का ही भाेग लगा रहे हैं। हनुमान जी के लिए मुखारविंद भी नहीं आ रहा है।
गलता गद्दी विवाद के बाद काेर्ट ने महंत अवधेशाचार्य की नियुक्ति रद्द कर दी थी। तभी से गलता तीर्थ सहित उसके अधीन आने वाले मंदिर प्रबंधन व संचालन की जिम्मेदारी जिला प्रशासन व देवस्थान विभाग के पास है। हालांकि सेवादार नहीं बदले गए, लेकिन पुष्प माला व पूर्ण भाेग सामग्री की व्यवस्था नहीं हाेने से 18 जनवरी से सेवा-पूजा की परंपराओं में व्यवधान आ रहा है। यहां राेज करीब 15 फूल मालाएं लगती हैं। ऐसे में, 450 रुपए की माला, 250 रुपए की सब्जी व 100 रुपए का मुखारबिंद चाहिए।
नित्य पूजा में पुष्प क्याें जरूरी?
राजस्थान संस्कृत विवि के शास्त्री कोसलेंद्रदास ने बताया कि महाभारत में श्रीकृष्ण ने कहा है कि पुष्प में लक्ष्मी का निवास होता है। पूजा में रत्नों की माला की अपेक्षा पुष्पमाला ही श्रेष्ठ है। पुराणों के अनुसार भिन्न-भिन्न देवों को विभिन्न पुष्पों से बनी मालाएं प्रिय हैं।
गलताजी में ये है भाेग परंपरा
प्रातः बेसन के लड्डू, दही,दूध एवं पोंगल (खिंचड़ी) का भोग लगता है। दोपहर : राजभोग - दाल, सब्जी, चावल, फुल्का व खीर। संध्या : शयन भोग-पूड़ी सब्जी।
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