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Update Google Chromeब्रेकिंग न्यूज़
जयपुर। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर केंद्र सरकार द्वारा सभी राज्यों में निवेश को बढ़ावा देने के लिए प्रक्रिया को आसान बनाने और अनावश्यक प्रावधानों को हटाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इसके क्रम में राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस संबंध में लगातार मॉनिटरिंग की और बैठकों में समीक्षा की। इसके परिणामस्वरूप आज राजस्थान 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' के मामले में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है। केंद्र सरकार द्वारा चिन्हित सभी 23 प्राथमिक क्षेत्रों में राज्य सरकार ने बेहतर कार्य किया है।
उद्योग एवं वाणिज्य विभाग और निवेश संवर्धन ब्यूरो के आयुक्त सुरेश कुमार ओला ने बताया कि राज्य सरकार ने निवेश से जुड़ी प्रक्रिया को काफी आसान बना दिया है। कागजी प्रक्रिया को खत्म कर, पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन किया गया है। इसके साथ ही, कई कानूनों और प्रावधानों में संशोधन भी किया गया है। राज्य सरकार द्वारा ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की दिशा में उठाए गए इन कदमों से प्रदेश को बेहतर निवेश गंतव्य बनाने का संकल्प और सशक्त हुआ है। ओला ने बताया कि 'राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट' के तहत किए गए 35 लाख करोड़ रुपये के निवेश समझौतों में से 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक के समझौतों पर कार्य प्रारंभ हो गया है। एक साल की अवधि में 20 प्रतिशत से अधिक समझौतों का धरातल पर उतरना, निवेश प्रक्रिया के सरलीकरण पर मुहर लगाता है।
एमएसएमई: ऑटो अप्रूवल अब 30 दिन में —
एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए, राज्य ने संशोधन कर शहरी क्षेत्रों में भूमि रूपांतरण प्रक्रिया को सरल बनाया है। आवेदन के ऑटोमेटिक स्वीकृति की समयसीमा को कम किया गया है। अब 60 कार्यदिवस के बजाय मात्र 30 कार्यदिवस में ही आवेदन स्वतः स्वीकृत हो जाएगा। इससे परियोजनाओं में होने वाली देरी में कमी आएगी और नए उद्यमों की स्थापना तेजी से होगी।
877 सेक्टर अप्रदूषणकारी उद्योगों की सूची में शामिल —
एमएसएमई के लिए 'कंसेंट टू एस्टेब्लिश' (सीटीई) और 'कंसेंट टू ऑपरेट' (सीटीओ) के लिए समयसीमा 120 दिनों से घटाकर 21 दिन की गई है। इसके साथ ही, रेड और वृहद् श्रेणी के उद्यमों के लिए यह अवधि घटाकर 60 दिन कर दी गई है। प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने सेल्फ सर्टिफिकेशन के आधार पर पर्यावरण अधिनियमों के तहत अनुपालना कर रही इकाइयों के लिए सीटीओ का सिस्टम-जनरेटेड ऑटो रिन्यूवल प्रारंभ किया है। साथ ही, वाटर एण्ड एयर पॉल्यूशन रूल्स में संशोधन के माध्यम से अप्रदूषणकारी 'व्हाइट कैटेगरी' उद्योगों की सूची को 104 सेक्टर से बढ़ाकर 877 कर दिया गया है। राज्य सरकार के इस निर्णय से अधिक गैर-प्रदूषणकारी उद्योगों को छूट मिलने से परियोजना अनुमोदनों में तेजी आएगी और औद्योगिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
6 घंटे कार्य के बाद 30 मिनट का विश्राम आवश्यक —
सूक्ष्म उद्यमों पर नियामक भार कम करने के उद्देश्य से 'राजस्थान शॉप्स एंड कॉमर्शियल एस्टाब्लिशमेंट एक्ट, 1958' के तहत कर्मचारी संख्या की सीमा 0 से बढ़ाकर 10 कर दी गई है। प्रतिष्ठानों को अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए राज्य ने एक अध्यादेश जारी कर अधिनियम के तहत अनुमत कार्य घंटों में वृद्धि की है। अध्यादेश के अनुसार दैनिक कार्य समय 9 घंटे से बढ़ाकर 10 घंटे कर दिया गया है। अधिकतम 6 घंटे के कार्य के पश्चात न्यूनतम 30 मिनट के विश्राम का प्रावधान किया गया है तथा तिमाही ओवरटाइम सीमा 144 घंटे कर दी गई है। 'राजस्थान फैक्ट्री रूल्स, 1951' के नियम 100 में संशोधन किया गया है, जिसके तहत गर्भवती महिलाओं एवं माताओं को छोड़कर, महिला श्रमिकों को सभी जोखिम पूर्ण कार्यों में कार्य करने की अनुमति दी गई है, जिनमें वे 15 कार्य भी शामिल हैं जो पूर्व में महिलाओं के लिए निषिद्ध थे।
थर्ड पार्टी फायर इंस्पेक्शन का प्रावधान —
फायर सेफ्टी कंप्लायंस को भी सुव्यवस्थित किया गया है। इसके तहत एम्पैनल्ड एजेंसियों के माध्यम से थर्ड पार्टी फायर इंस्पेक्शन का प्रावधान लागू किया गया है तथा फायर एनओसी सर्टिफिकेट की वैधता अवधि बढ़ाई गई है। इससे सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करते हुए अनुमति में तेजी आएगी।
ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक उद्योग स्थापना के लिए कई प्रावधान —
राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग स्थापित करने के नियमों में ढील दी है, ताकि कम चौड़ाई वाली सड़कों वाले इलाकों में भी छोटे और मध्यम उद्योग बिना किसी कानूनी बाधा के शुरू किए जा सकें। इस मामले में राजस्थान अग्रणी राज्यों में शामिल है। लेआउट प्लान वाले क्षेत्रों में सड़क चौड़ाई 9 मीटर और बिना लेआउट वाले क्षेत्रों में 4.5 मीटर निर्धारित की गई है। राज्य ने औद्योगिक एवं वाणिज्यिक क्षेत्रों में भूमि उपयोग को अनुकूलित करने के लिए भी महत्वपूर्ण सुधार लागू किए हैं।
वाणिज्यिक भूखण्डों पर 50 प्रतिशत ग्राउंड कवरेज की सीमा समाप्त —
नगरीय विकास एवं आवासन विभाग एवं रीको ने भवन मानकों में संशोधन कर भूमि के सदुपयोग को सुनिश्चित किया है और पार्किंग मानकों को तर्कसंगत बनाया है। पूर्व में वाणिज्यिक भूखण्डों पर 50 प्रतिशत ग्राउंड कवरेज की सीमा को अब समाप्त कर दिया गया है, जिससे नगरीय योजना में अधिक लचीलापन सुनिश्चित हुआ है। नगरीय विकास के क्षेत्र में, राजस्थान सरकार द्वारा 'ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट पॉलिसी' जारी की गई है। यह नीति मेट्रो कॉरिडोर, बीआरटीएस तथा प्रमुख परिवहन मार्गों के आसपास उच्च घनत्व मिश्रित उपयोग विकास को बढ़ावा देती है, जिससे यातायात भीड़ में कमी, क्षैतिज शहरी विस्तार पर नियंत्रण, सार्वजनिक परिवहन के उपयोग में वृद्धि तथा स्वच्छ शहरों का निर्माण संभव हो सकेगा।
अपराध में कमी आई, व्यापार करना आसान हुआ —
डी-क्रिमिनलाइज़ेशन के क्षेत्र में राज्य ने 'राजस्थान जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) अध्यादेश, 2025' अधिसूचित किया है। 11 राज्य अधिनियमों के प्रावधानों में संशोधन कर छोटे अपराधों को अपराधमुक्त किया गया है। इस अध्यादेश के तहत आपराधिक प्रावधानों को आर्थिक दंड से प्रतिस्थापित किया गया है। इससे अपराध में कमी आई है और प्रदेश में व्यापार करना आसान हुआ है।
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