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भारत पहुंचा एचएमपीवी वायरस? बंगलूरू में 8 एवं 3 माह की दो बच्चियों में दिखे संक्रमण के लक्षण, अलर्ट
By Lokjeewan Daily - 06-01-2025

बंगलूरू, चीन में फैल रहे ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) संक्रमण की भारत में दस्तक हो गई। चीन में फैले कोरोना जैसे वायरस का भारत में दूसरा केस मिला है। वायरस का नाम ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस है। भारत में दोनों मामले कर्नाटक के हैं। इसमें एक 8 महीने का बच्चा और दूसरी 3 महीने की बच्ची संक्रमित है। सैंपल की जांच बैपटिस्ट अस्पताल में की गई थी। हालांकि कर्नाटक के स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया कि उन्होंने अपनी लैब में नमूने की जांच नहीं कराई। रिपोर्ट एक निजी अस्पताल से आई है। वायरस से संक्रमित होने पर मरीजों में सर्दी और कोविड-19 जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इसका सबसे ज्यादा असर छोटे बच्चों पर देखा जा रहा है। इनमें 2 साल से कम उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा- कर्नाटक में एचएमपीवी के दो मामलों का पता लगा है। दोनों बच्चों को सांस संबंधी इलाज के लिए अस्पताल में एडमिट किया गया था। जहां टेस्ट करने पर उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। वहीं कर्नाटक सरकार का कहना है कि वायरस के स्ट्रेन के बारे में जानकारी नहीं है। 

चीन में इन दिनों ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) का प्रकोप देखने को मिल रहा है। वायरस से बड़ी संख्या में लोगों की जान जाने की खबरें आ रही हैं। इसे लेकर भारत में भी स्वास्थ्य मंत्रालय ने कड़ी निगरानी शुरू कर दी है। कई राज्यों ने एडवाइजरी और अलर्ट जारी किया है। इसके साथ ही भारत में एचएमपीवी वायरस जैसा का पहला केस सामने आया है। 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बंगलूरू के बैपटिस्ट अस्पताल में एक आठ महीने की बच्ची में एचएमपीवी वायरस जैसे लक्षण पाए गए हैं। हालांकि बच्ची में संक्रमण की पुष्टि एक निजी लैब में हुई है। कर्नाटक के स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि उनकी प्रयोगशाला में नमूने की जांच नहीं हुई है। निजी अस्पताल की रिपोर्ट में यह सामने आया है। स्ट्रेन को लेकर जानकारी नहीं है। नमूने को सरकारी प्रयोगशाला में भेजा गया है। वहीं सरकार ने वायरस को लेकर अलर्ट जारी किया है। सतर्कता बरती जा रही है। 

क्या है ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी)?

  • ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस, जिसे एचएमपीवी के छोटे नाम से भी जाना जाता है, इंसानों की श्वसन प्रक्रिया पर प्रभाव डालने वाला वायरस है। इसकी पहली बार पहचान 2001 में हो गई थी। तब नीदरलैंड के वैज्ञानिकों ने इसका पता लगाया था। यह पैरामाइक्सोविरीडे परिवार का वायरस है। 
  • श्वसन संबंधी अन्य वायरस की तरह यह भी संक्रमित लोगों के खांसने-छींकने के दौरान उनके करीब रहने से फैलता है। 
  • कुछ स्टडीज में दावा किया गया है कि यह वायरस पिछले छह दशकों से दुनिया में मौजूद है। 

एचएमपीवी का किस पर और कितना असर?

  • यह मुख्य तौर पर बच्चों पर असर डालता है। हालांकि, कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों और बुजुर्गों पर भी इसका प्रभाव दर्ज किया गया है। 
  • इस वायरस की वजह से लोगों को सर्दी, खांसी, बुखार, कफ की शिकायत हो सकती है। ज्यादा गंभीर मामलों में गला और श्वांस नली के जाम होने से लोगों के मुंह से सीटी जैसी खरखराहट भी सुनी जा सकती है।
  • कुछ और गंभीर स्थिति में इस वायरस की वजह से लोगों को ब्रोंकियोलाइटिस (फेफड़ों में ऑक्सीजन ले जाने वाली नली में सूजन) और निमोनिया (फेफड़ों में पानी भरना) की स्थिति पैदा कर सकता है। इसके चलते संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है। 
  • चूंकि इसके लक्षण कोरोनावायरस संक्रमण और आम फ्लू से मिलते-जुलते हैं, इसलिए इन दोनों में अंतर बता पाना मुश्किल है। हालांकि, जहां कोरोनावायरस की महामारी हर सीजन में फैली थी। वहीं एचएमपीवी अब तक मुख्यतः मौसमी संक्रमण ही माना जा रहा है। हालांकि, कई जगहों पर इसकी मौजूदगी पूरे साल भी दर्ज की गई है।
  • कोरोना के इतर इस वायरस के कारण ऊपरी और निचले दोनों श्वसन पथ में संक्रमण का खतरा हो सकता है।
  • सामान्य मामलों में इस वायरस का असर तीन से पांच दिन तक रहता है। 

वैक्सीन और उपचार के क्या तरीके हैं?
मौजूदा समय में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस से बचाव के लिए कोई टीका (वैक्सीन) मौजूद नहीं है। इसके अलावा एंटी वायरल दवाइयों का प्रयोग इस पर असर नहीं डालता। ऐसे में एंटी वायरल का प्रयोग इंसानों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम कर सकता है। इस वायरस से जूझ रहे लोगों को लक्षण हल्का करने के लिए कुछ दवाएं दी जा सकती हैं। हालांकि, वायरस को खत्म करने लायक उपचार अभी मौजूद नहीं है।

वायरस से भारत को कितना खतरा?

चीन में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस की वजह से वायरल बुखार और श्वसन संक्रमण के बड़े मामले सामने आ रहे हैं। खास बात है कि यह वायरस अब चीन से बाहर भी फैलने लगा है। इस वायरस से संक्रमण के मामले अब मलेशिया और हॉन्गकॉन्ग में भी सामने आए हैं। खास बात है कि भारत के बेंगलुरु में 8 महीने की बच्ची में इस वायरस के संक्रमण का मामला सामने आया है। ऐसे में सवाल है कि यह नया वायरस कोरोना से भी अधिक तबाही मचा सकता है। खास बात है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से अभी तक पूरे मामले में लगभग चुप्पी जैसी स्थिति बनी है।

क्या है एचएमपीवी वायरस?

ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी), एक श्वसन वायरस है जो फ्लू जैसे लक्षण पैदा करता है। यह निचले और ऊपरी श्वसन संक्रमण (जैसे सर्दी) का कारण बनता है। यह एक मौसमी बीमारी है जो आमतौर पर सर्दियों और शुरुआती वसंत में होती है, जो रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस और फ्लू के समान है। चीन में मामलों में वृद्धि के बाद चिंता का विषय बन गया है। हालांकि यह वायरस कोविड -19 से मिलता-जुलता है, लेकिन विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि यह भारत के लिए तत्काल कोई खतरा नहीं है।

क्या यह नया वायरस है?

एचएमपीवी कोई नया खोजा गया वायरस नहीं है। यू.एस. सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार इसे पहली बार 2001 में खोजा गया था। एक्सपर्ट्स का कहना है कि कुछ सीरोलॉजिकल सबूत बताते हैं कि यह वायरस कम से कम 1958 से व्यापक रूप से फैला हुआ है। एचएमपीवी आरएसवी के साथ न्यूमोविरिडे परिवार में आता है।एचएमपीवी से हल्के से लेकर गंभीर श्वसन संक्रमण उत्पन्न होने की संभावना रहती है। यह, विशेष रूप से कमजोर समूहों जैसे छोटे बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर रोग प्रतिरोध क्षमता वाले व्यक्तियों को प्रभावित करता है।

क्या हैं एचएमपीवी के लक्षण

एचएमपीवी वायरस से छोटे बच्चे, वृद्ध और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग इससे ज्यादा प्रभावित होते हैं। एचएमपीवी से जुड़े सामान्य लक्षणों में खांसी, बुखार, नाक बंद होना और सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं। एचएमपीवी दो लोगों के बीच श्वसन प्रणाली के माध्यम से फैल सकता है। साथ ही लोगों के बीच संपर्क जैसे कि हाथ मिलाना, या वायरस से दूषित किसी वस्तु को छूना आदि से फैल सकता है। इस वायरस से बचाव के लिए जरूरी है कि मास्क पहने, बार-बार हाथ धोएं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं।

क्या है इलाज?

विशेषज्ञ एचएमपीवी के लिए एंटीवायरल का उपयोग करने से भी मना कर रहे हैं। सांस की बीमारी से जुड़े एक्सपर्ट्स ने लोगों को मानव मेटान्यूमोवायरस से लड़ने के लिए एंटीवायरल दवाओं का आंख बंद कर उपयोग करने के खिलाफ चेतावनी दी। फिलहाल इसका कोई टीका नहीं है, लेकिन इसके लक्षण सर्दी-जुकाम जैसे होते हैं। 2023 में नीदरलैंड, ब्रिटेन, फिनलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका और चीन में एचएमपीवी का पता चला था।

दिल्ली से लेकर तेलंगाना में दिशा-निर्देश जारी

एचएमपीवी को लेकर दिल्ली से लेकर तेलंगाना की सरकार ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं। दिल्ली में स्वास्थ्य अधिकारियों ने ‘ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी)’ और श्वास संबंधी अन्य संक्रमण से जुड़ी संभावित स्वास्थ्य चुनौतियों के सिलसिले में तैयारी सुनिश्चित करने के लिए परामर्श जारी किया। महानिदेशक (स्वास्थ्य सेवाएं) डॉ. वंदना बग्गा ने दिल्ली में सांस संबंधी बीमारियों से निपटने की तैयारियों पर चर्चा की। इसके तबाद सिफारिशों के तहत अस्पतालों को निर्देश दिया गया है कि वे इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) और गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण (एसएआरआई) के मामलों की सूचना तुरंत आईएचआईपी पोर्टल के माध्यम से दें। संदिग्ध मामलों के संबंध में सख्त क्वारंटीन नियम लागू करना और उचित सावधानियां बरतना अनिवार्य कर दिया गया है।

क्या कह रही सरकार?

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि वह सभी उपलब्ध चैनलों के माध्यम से चीन की स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है और उसने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से भी स्थिति के बारे में समय पर अपडेट साझा करने का अनुरोध किया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को स्थिति की समीक्षा के लिए संयुक्त निगरानी समूह की बैठक बुलाई थी। सरकार का कहना था कि चीन में सांस संबंधी बीमारियों के मामलों में हाल ही में हुई वृद्धि फ्लू के मौजूदा मौसम को देखते हुए असामान्य नहीं है। मंत्रालय ने कहा कि भारतीय अस्पतालों में सांस संबंधी बीमारियों या इन्फ्लूएंजा के मामलों में कोई असामान्य वृद्धि नहीं हुई है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि चीन से मिली रिपोर्ट बताती है कि वहां मामलों में मौजूदा उछाल का कारण इन्फ्लूएंजा वायरस - ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) और रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस (आरएसवी) हैं, जो इस मौसम में होने की उम्मीद है।

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