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कुमार विश्वास ने RSS को बताया अनपढ़, भाजपा प्रवक्ता बोले- कथा करने आए हो, प्रमाण पत्र मत बांटो

कुमार विश्वास ने RSS को बताया अनपढ़, भाजपा प्रवक्ता बोले- कथा करने आए हो, प्रमाण पत्र मत बांटो

उज्जैन ,भारत उत्कर्ष, नवजागरण और वृहत्तर भारत की सांस्कृतिक चेतना पर एकाग्र विक्रमोत्सव 2023 (विक्रम सम्वत् 2079) के तहत कवि और लेखक कुमार विश्वास उज्जैन में राम कथा के प्रेरक प्रसंग सुनाने पहुंचे थे। मंगलवार को उन्होंने राम कथा के प्रसंग सुनाने के दौरान आरएसएस पर निशाना साधा और संघ को अनपढ़ कहा। जिस वक्त कुमार

उज्जैन ,भारत उत्कर्ष, नवजागरण और वृहत्तर भारत की सांस्कृतिक चेतना पर एकाग्र विक्रमोत्सव 2023 (विक्रम सम्वत् 2079) के तहत कवि और लेखक कुमार विश्वास उज्जैन में राम कथा के प्रेरक प्रसंग सुनाने पहुंचे थे। मंगलवार को उन्होंने राम कथा के प्रसंग सुनाने के दौरान आरएसएस पर निशाना साधा और संघ को अनपढ़ कहा। जिस वक्त कुमार विश्वास ने संघ के बारे में ये कहा उस दौरान मंच पर उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव व सांसद अनिल फिरोजिया भी मौजूद थे। कुमार विश्वास का बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वहीं, कुमार विश्वास के बयान पर अब बीजेपी नेताओं की प्रतिक्रिया सामने आ रही है। प्रदेश प्रवक्ता राजपाल सिंह सिसोदिया ने अपने ट्विटर पर कुमार विश्वास को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उज्जैन में कथा करने आए हो कथा करो प्रमाण पत्र मत बांटो। कार्यक्रम में हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे।
कुमार विश्वास प्रेरक प्रसंग सुनाने के दौरान राम राज्य के बजट के बारे में लोगों को बता रहे थे, इस दौरान उन्होंने केंद्रीय बजट को राम राज्य के बजट से जोड़ते हुए संघ पर निशाना साधा और कहा कि संघ से जुड़े लोग कहते हैं कि राम राज्य में बजट नहीं होता था। हमारे देश में दो तरह के लोगों का झगड़ा चल रहा है। एक वामपंथी हैं, जो कुपढ़ हैं, उन्होंने पढ़ा तो है, लेकिन गलत पढ़ा है। दूसरे हैं उन्होंने पढ़ा ही नहीं है वो कहते हैं कि हमारे वेदों में ये लिखा है लेकिन वेदों में क्या लिखा है वो उन्होंने देखा ही नहीं हैं।
कुमार विश्वास ने सुनाए ये प्रसंग
कुमार विश्वास की आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टि व शानदार आध्यात्मिक संगीत से भरे इस कार्यक्रम में सबसे ज्यादा संख्या युवाओं की रही। कुमार विश्वास ने बताया कि श्रीराम के माध्यम से जीवन प्रबंधन का पाठ सीखा कैसे जा सकता है। कार्यक्रम की शुरूआत राम भजन से की गयी।
राम राज्य में टैक्स की व्यवस्था अनूठी थी। राम ने भरत से कहा कि हम सूर्यवंशी हैं। इसलिए राजा को टैक्स ऐसे लेना चाहिए जैसे सूर्य टैक्स लेता है। सूरज समुद्र और नदियों से पानी लेता है लेकिन उन्हें पता नहीं चलता। उसी पानी को बारिश के रूप में वहां बरसाता है, जहां पानी की जरूरत होती है। इसी तरह आज के युग में सरकार ऐसे टैक्स लें कि जनता को पता न चले और उसे हॉस्पिटल और महाकाल लोक जैसे रूप में जनता को लौटाए, ताकि जनता खुश हो जाए।
नेता वो बड़ा होता है, जो बड़े नेता अपने आसपास बनाए। श्रीराम ने सुग्रीव और विभीषण को राजा बनाया। अंगद को युवराज बनाया। जीवन में कभी भी निराश न हों। आज एक छोटा सा अवसर छिन जाने पर लोग आत्महत्या तक कर लेते हैं। राम ने एक रात पहले ही राज्याभिषेक नहीं होने पर अपनी मां को कहा कि मां आप चिंतित न हो, पिताजी (राजा दशरथ) ने मुझे वनवास नहीं दिया, बल्कि जंगल का राज्य दे दिया है। उस जंगल का राज्य दिया है, जहां सारी बड़ी चुनौतियां मुझे बड़ा बनाएंगी। ऐसा पुत्र मिलना दुर्लभ है। 
राम वन-वन घूमे। वंचितों को गले लगाया और छोटी-छोटी शक्तियों को एकजुट किया। वन जाते समय वह राजकुमार राम थे, लेकिन जब 14 वर्षों का वनवास खत्म करके लौटे तो मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम बनके लौटे। इसलिए जीवन में संघर्षों से नहीं डरे और विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी नैतिकता बनाए रखें।

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