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रूस-यूक्रेन युद्ध का आज एक साल पूरा
तीन लाख मौतें, लाखों लोग गायब, खँडहर हुआ युक्रेन

नई दिल्ली, रूस-यूक्रेन युद्ध को आज एक साल पूरे हो गए। पिछले साल आज के ही दिन से दोनों देशों के बीच भीषण जंग शुरू हुई। अभी भी ये जंग जारी है। दोनों में से कोई भी देश पीछे हटने को तैयार नहीं है। सभी के दिमाग में यही सवाल है कि बीते एक साल

नई दिल्ली, रूस-यूक्रेन युद्ध को आज एक साल पूरे हो गए। पिछले साल आज के ही दिन से दोनों देशों के बीच भीषण जंग शुरू हुई। अभी भी ये जंग जारी है। दोनों में से कोई भी देश पीछे हटने को तैयार नहीं है। सभी के दिमाग में यही सवाल है कि बीते एक साल में क्या-क्या हुआ? कितने लोगों की मौत हुई? यूक्रेन में कितनी तबाई हुई? जंग कब तक चलेगी?

होने लगे कीव पर हवाई हमले
23 फरवरी 2022 की रात रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ सैन्य ऑपरेशन का एलान किया। चंद घंटे बाद यानी 24 फरवरी की तड़के सुबह अचानक यूक्रेन की राजधानी कीव और आसपास के शहरों में हवाई हमले होने लगे। रूस के इस हमले से पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया। यूक्रेन का साथ देने के लिए नाटो सदस्य देश खड़े हो गए। अमेरिका, ब्रिटेन, पोलैंड, फ्रांस समेत कई देशों ने युद्ध से बाहर रहते हुए यूक्रेन को मदद पहुंचानी शुरू कर दी।

एक साल में तीन लाख से ज्यादा लोग मारे गए
रूस-यूक्रेन युद्ध में मारे गए लोगों का कोई सटीक आंकड़ा तो नहीं है, लेकिन अलग-अलग रिपोर्ट्स के अनुसार, एक साल के अंदर तीन लाख से ज्यादा लोग दोनों तरफ से मारे जा चुके हैं। नॉर्वे चीफ ऑफ डिफेंस की रिपोर्ट के अनुसार, इस युद्ध में 22 जनवरी 2023 तक यूक्रेन के तीस हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। एक लाख बीस हजार से ज्यादा यूक्रेनियन जवान अपनी जान गंवा चुके हैं। वहीं, तमाम रिपोर्ट्स ये दावा करती हैं कि यूक्रेन से ज्यादा रूसी सैनिकों की मौत हुई है। अमेरिका के आंकड़े बताते हैं कि 24 फरवरी 2022 से 16 फरवरी 2023 तक दो लाख से ज्यादा रूसी सैनिक या तो मारे जा चुके हैं या फिर यूक्रेन में बंधक बनाए गए हैं। इसके अलावा करीब सात हजार से ज्यादा रूस का साथ देने वाले यूक्रेनियन अलगाववादी भी मारे जा चुके हैं। दोनों तरफ से दो लाख से ज्यादा जवान और नागरिक लापता हैं।

44 विदेशियों की भी हुई मौत
रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते 44 विदेशी नागरिकों की भी मौत हो चुकी है। एक भारतीय छात्र ने भी अपनी जान गंवा दी है। आंकड़े के अनुसार, सबसे ज्यादा ग्रीस के 12, अरबैजान के आठ नागरिकों ने इस युद्ध में जान गंवाई।

यूक्रेन पर कितना कब्जा कर पाया रूस?
रूस अब तक यूक्रेन के मैरियूपोल, दोनेत्स्क, खेरसॉन, लुहांस्क पर पूरी तरह से कब्जा कर चुका है। युद्ध के बाद रूस ने माइकोलाइव और खारकीव पर भी कब्जा कर लिया था। हालांकि, बाद में यूक्रेनी सेना ने रूस को जोरदार टक्कर देते हुए इन दोनों राज्यों पर वापस कब्जा जमा लिया। अभी भी कई राज्यों में रूस और यूक्रेन के बीच आक्रामक युद्ध जारी है। हालांकि, ये वही राज्य हैं, जो रूस से सटे हुए हैं। नए शहरों पर कब्जा करने के साथ-साथ रूसी सैनिक अपने इलाकों की रक्षा में जुटी यूक्रेनी सेनाओं पर तोप से गोले बरसा रहे हैं। उन पर रॉकेटों से भी हमला हो रहा है। रूस इस वक्त दो तरफ से उत्तर में आइजम और पश्चिम में सेवेरदोनेत्स्क से हमला कर रहा है।

यूक्रेन की मदद को कई देशों ने बढ़ाया हाथ
रूसी हमले के विरोध में अमेरिका समेत दुनिया के कई देश यूक्रेन के साथ आ गए। अभी दुनिया के 80 से ज्यादा देशों से यूक्रेन को अलग-अलग तरह से मदद मिल रही है। इनमें 31 देश ऐसे हैं, जो यूक्रेन को घातक हथियार और मिसाइलें दे रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन सोमवार को ही यूक्रेन पहुंचे। यहां उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की से मुलाकात की। इसके अलावा ब्रिटेन, फ्रांस समेत कई अन्य देशों के राष्ट्रपति और राष्ट्राध्यक्ष भी यूक्रेन का दौरा कर चुके हैं।

कौन-कौन सा देश किस तरह से यूक्रेन की मदद कर रहा?
एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक अमेरिका ने यूक्रेन को एक हजार मिलियन यूएस डॉलर के हथियार दिए हैं। इसके अलावा यूरोपियन यूनियन की तरफ से एक हजार मिलियन यूएस डॉलर की लीथल एड दी गई है। ब्रिटेन, फ्रांस, नीदरलैंड, जर्मनी, समेत कई देश यूक्रेन को हथियार सप्लाई कर रहे हैं। अमेरिका की रिपोर्ट के अनुसार, 2014 से अब तक यूएस ने यूक्रेन में रक्षा संसाधनों को मजबूत करने के लिए 30.4 बिलियन डॉलर से ज्यादा की रकम खर्च किया है। 2014 में भी रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था। बाइडेन एक बार फिर से यूक्रेन पहुंचे।
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक जो बाइडन ने कीव के दौरे के दौरान यूक्रेन को 50 करोड़ डॉलर (500 मिलियन डॉलर) की अतिरिक्त सैन्य सहायता देने की घोषणा की है। ‘द कनवरसेशन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने दस करोड़ से ज्यादा गोले-बारूद यूक्रेन को दिए हैं। इसमें राइफल्स, तोप, हैंडगन शामिल हैं। इनके अलावा कनाडा, ग्रीस, लिथुआनिया, नीदरलैंड, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, स्लोवेनिया जैसे देशों से भी इस तरह के हथियार यूक्रेन को मिल रहे हैं।

युद्ध का दूसरे देशों पर क्या असर पड़ा?
युद्ध शुरू होने के कुछ दिन बाद ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमोडिटी की कीमतों में उछाल आई। कच्चा तेल 140 डॉलर प्रति बैरल के करीब जा पहुंचा जो 2008 के बाद कच्चे तेल के दामों का सबसे ऊंचा स्तर था। गैस के दामों से लेकर स्टील, एल्युमिनियम, निकेल से लेकर सभी कमोडिटी के दाम आसमान छूने लगे। इसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर देखा गया। वैश्विक महंगाई आसमान छूने लगी। युद्ध के चलते सप्लाई चेन पूरी तरह से बाधित हो गई। यूक्रेन पर हमला बोलने के बाद अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया जिससे रूस को आर्थिक तौर से नुकसान पहुंचाया जा सके।

अब आगे क्या?
इसे समझने के लिए हमने विदेश मामलों के जानकार डॉ. आदित्य पटेल से बात की। उन्होंने कहा, ‘फिलहाल दोनों देशों के बीच सुलह की कोई संभावना नहीं दिख रही है। रूस और यूक्रेन दोनों पीछे हटने को तैयार नहीं है। यूक्रेन को अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देशों का साथ मिल रहा है तो रूस भी अपने कदम पीछे नहीं हटाना चाहता है। ऐसे में युद्ध रुकने की फिलहाल कोई संभावना नहीं है। अमेरिकी राष्ट्रपति भी अचानक यूक्रेन पहुंचे। यहां उन्होंने यूक्रेन को हर तरह से मदद करने का भरोसा दिला दिया है। इससे रूस फिर भड़क गया है।’

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