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नई दिल्ली: इजरायल ने अपने परंपरागत दुश्मन हिजबुल्लाह के गढ़ लेबनान में बड़े हमले किए हैं। इन हमलों में कम से कम 500 लोगों के मारे जाने की खबरें हैं। कहा जा रहा है कि इजरायल के इन हमलों में उसके रक्षा कवच आयरन डोम का भी हाथ है, जो हिजबुल्लाह की ओर से किए गए हमलों को विफल कर देता है। ये भी कयास लग रहे हैं कि इन हमलों के पीछे भी इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद है, जिसने हाल ही में लेबनान में पेजर, वॉकी-टॉकी और सोलर प्लांट में धमाकों को अंजाम दिया था। इससे पूरे लेबनान में आतिशबाजी जैसे हालात पैदा हो गए थे। इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने इजरायल के दुश्मनों को मारने के लिए पूरे लेबनान में 1600 टार्गेट की पहचान की। इन जगहों पर हिजबुल्लाह लड़ाकों के सबसे ज्यादा छिपे होने की पुख्ता खबर थी। फिर ये इनपुट्स इजरायली आर्मी को दिए गए, जिसने आयरन डोम सिस्टम से ये हमले किए। साथ में हिजबुल्लाह के रॉकेटों को नेस्तनाबूद कर दिया। 300 मिसाइलों से किए गए इन हमलों में करीब 500 लोग मारे गए, जबकि 1600 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है। मोसाद के सीक्रेट प्लान और इजरायली आयरन डोम ने पूरे लेबनान में तबाही मचा दी।
कैसे काम करता है आयरन डोम?
आयरन डोम को आने वाले कम दूरी के हथियारों से बचाने के लिए डिजाइन किया गया है। यह हर मौसम की स्थिति में काम करता है। यह रॉकेटों को ट्रैक करने के लिए रडार का इस्तेमाल करता है। यह उन रॉकेटों की पहले से पहचान कर लेता है, जो इजरायल पर गिरने वाली होती हैं। इंटरसेप्टर मिसाइलें केवल आबादी वाले इलाकों पर हमला करने वाले रॉकेटों पर दागी जाती हैं। इस प्रणाली में इजरायल में स्थित बैटरियां शामिल हैं, प्रत्येक में तीन से चार लॉन्चर हैं जो 20 इंटरसेप्टर मिसाइलों को फायर कर सकते हैं। सिस्टम के स्थिर और मोबाइल दोनों संस्करण हैं। यानी ये ट्रक से खींचकर कहीं भी ले जाए जा सकते हैं। ये 10 सेकेंड में 20 मिसाइलें एकसाथ छोड़ता है। आयरन डोम को 2006 में इजरायल और दक्षिणी लेबनान के आतंकवादी समूह हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष के बाद विकसित किया गया था। हिजबुल्लाह ने इजरायल में हजारों रॉकेट दागे, जिससे भारी क्षति हुई और दर्जनों नागरिक मारे गए। इसके जवाब में इजरायल ने नई मिसाइल रक्षा ढाल विकसित करने की शुरुआत की। यहीं से इजरायल ने अपने लिए रक्षा कवच यानी आयरन डोम सिस्टम विकसित किया। आयरन डोम को इजरायली फर्म राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स और इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने कुछ अमेरिकी सहयोग से बनाया था।
पेजर और वॉकी-टॉकी धमाकों में 5 हजार से ज्यादा घायल
लेबनान में पेजर धमाकों के बाद वॉकी-टॉकी और सोलर प्लांट में धमाके हुए हैं। इन हमलों में अब तक 32 से ज्यादा लोगों के मारे जाने और 5,000 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है। इनमें ज्यादातर आतंकी ग्रुप हिज्बुल्लाह के लड़ाके हैं, जो बातचीत के लिए वॉकी-टॉकी का इस्तेमाल करते हैं।
भारत का एस-400 भी आयरन डोम जैसा ही है
भारत के पास एस-400 ट्रायम्फ प्रणाली है, जो तीन खतरों जैसे रॉकेट, मिसाइल और क्रूज मिसाइल से निपटने में सक्षम है, लेकिन इनकी रेंज काफी अधिक होती है। इसमें खतरों से निपटने के लिए यह बहुत बड़ा एयर डिफेंस कवच है। यह रूस की डिजाइन की गई सतह से हवा में मार करने वाली गतिशील मिसाइल प्रणाली है। इसकी रेंज 400 किलोमीटर और सीमा के भीतर 30 किमी तक की ऊंचाई पर सभी प्रकार के हवाई लक्ष्यों को भेद सकती है। यह प्रणाली 100 हवाई लक्ष्यों को एकसाथ ट्रैक कर सकती है और उनमें से 6 को एक साथ निशाना बना सकती है।
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