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पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को बड़ी राहत मिली है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अपनी एक्सटेंडेड फंडिंग फैसिलिटी (ईएफएफ) के तहत पाकिस्तान के लिए 7 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज को मंजूरी दे दी है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पुष्टि की कि आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड ने 7 अरब डॉलर के 37 महीने के ईएफएफ को मंजूरी दी।
यह 1958 के बाद से पाकिस्तान को प्राप्त 25वां आईएमएफ प्रोग्राम और छठी ईएफएफ फैसिलिटी है। शरीफ संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) सत्र के लिए अमेरिका में हैं।
बेलआउट पैकेज को लेकर शरीफ ने दावा किया कि यह पाकिस्तान का आखिरी आईएमएफ प्रोग्राम होगा। उन्होंने इसका क्रेडिट उप-प्रधानमंत्री इशाक डार, सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर और उनकी वित्त टीम को दिया।
हालांकि बैलआउट पैकेज पाकिस्तान के लिए एक राहत है लेकिन इसके साथ कड़ी शर्तें शामिल हैं।
बेलआउट पैकेज की डिटेल के अनुसार, पाकिस्तान ने अपने कृषि आयकर में आमूलचूल परिवर्तन करने, कुछ राजकोषीय जिम्मेदारियों को प्रांतों को ट्रांसफर करने और सब्सिडी को सीमित करने का वादा किया है। पाकिस्तान आईएमएफ ऋण के लिए लगभग पांच प्रतिशत ब्याज दर का भुगतान करेगा।
पाकिस्तान सरकार को आईएमएफ की पूर्व शर्तों को पूरा करने के लिए कठिन नीतियों और करों को लागू करना पड़ा है।
सरकार ने सॉवरेन वेल्थ फंड में पारदर्शिता लाने के लिए 1.4 ट्रिलियन से 1.8 ट्रिलियन रुपये के बीच अतिरिक्त टैक्स लगाए और बिजली की कीमतों में कम से कम 51 प्रतिशत की वृद्धि की।
सरकार ने आईएमएफ के साथ बोर्ड बैठक की तारीख हासिल करने के लिए 600 मिलियन डॉलर का कर्ज लिया, जो देश के इतिहास में सबसे महंगे ऋणों में से एक है।
आईएमएफ ने प्रांतों के वित्तीय बजट को भी अपने नियंत्रण में ले लिया और एक दर्जन से अधिक शर्तें लागू कर दी हैं, जो नए प्रोग्राम के तहत प्रांतों को सीधे प्रभावित करेंगी।
चारों प्रांत- सिंध, बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब, 'राष्ट्रीय राजकोषीय समझौता' नामक एक राजकोषीय एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करेंगे। इससे स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा और रोड इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की जिम्मेदारी प्रांतीय सरकारों को ट्रांसफर करने का रास्ता खुलेगा।
पाकिस्तान ने आईएमएफ के समक्ष जो प्रतिबद्धताएं व्यक्त की हैं, वे शरीफ सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने कहा कि पाकिस्तान ने जिन सुधारों का आईएमएफ से वादा किया है उन्हें लागू करना मुश्किल होगा। एडीबी इसके लिए देश की अस्थिर राजनीति और संस्थागत तनाव को एक प्रमुख कारक मानता है।
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