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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले में गुरुवार को यात्री वाहनों पर हुए हमले में मरने वालों की संख्या बढ़कर 43 हो गई है। इस हमले से पूरे जिले में आक्रोश फैल गया है। विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शन हुए हैं। लोग सरकार की हिंसा को रोकने में नाकामी से नाराज हैं।
पाराचिनार शहर में हजारों लोगों ने धरना दिया, जहां प्रदर्शनकारियों ने नागरिकों की सुरक्षा में सरकार की विफलता की आलोचना की। कराची में भी सैकड़ों लोगों ने प्रदर्शन किया।
डॉन डॉट कॉम के मुताबिक गुरुवार को हुआ हमला कुर्रम में सुन्नी और शिया जनजातियों के बीच सांप्रदायिक झड़पों की श्रृंखला में नवीनतम है। जुलाई और सितंबर में हुई पिछली झड़पों में दर्जनों लोगों की जान चली गई थी और जनजातीय परिषदों द्वारा युद्धविराम के बाद ही उनका समाधान हुआ था।
इस नवीनतम हिंसा की मानवाधिकार समूहों ने भी निंदा की। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने एक बयान में कहा, "ऐसी घटनाओं का फिर से होना संघीय और प्रांतीय सरकारों की आम नागरिकों की सुरक्षा की रक्षा करने में नाकामी को साबित करती है।"
इसमें कहा गया, "हम हिंसा के इस चक्र को स्थायी रूप से तोड़ने के लिए दोनों सरकारों से तत्काल और निर्णायक कदम उठाने की मांग करते हैं।"
डॉन डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि उन्होंने पहाड़ी जिले में कर्फ्यू लगा दिया और मोबाइल सेवा निलंबित कर दी गई।
अफगानिस्तान सीमा से सटे कुर्रम जिले में पाराचिनार और उसके आसपास के इलाकों में व्यवसाय, शैक्षणिक संस्थान और बाजार बंद रहे। इस जिले में सांप्रदायिक हिंसा का इतिहास रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक प्रशासन के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि पूरे जिले में मोबाइल सिग्नल बंद कर दिए गए हैं, उन्होंने स्थिति को 'बेहद तनावपूर्ण' बताया।
बता दें पेशावर और पाराचिनार के बीच शिया यात्रियों को ले जा रहे करीब 200 वाहनों के काफिले पर घनी आबादी वाले बागान शहर में भारी गोलीबारी की गई।
चश्मदीदों के अनुसार, वाहनों पर चार तरफ से घात लगाकर हमला किया गया और हमला करीब 30 मिनट तक चला।
अधिकारियों ने बताया कि पीड़ितों में सात महिलाएं और तीन बच्चे शामिल हैं, जबकि 16 अन्य घायल हैं - जिनमें से 11 की हालत गंभीर है।
मजलिस-ए-वहदत-ए-मुसलमीन (एमडब्ल्यूएम) के नेता साजिद काजमी ने हमले की निंदा की और कानून प्रवर्तन एजेंसियों पर लापरवाही का आरोप लगाया।
काजमी ने आरोप लगाया कि काफिले को थल से अलीज़ई तक पुलिस द्वारा ले जाए जाने के बावजूद, सुरक्षा बल यात्रियों की सुरक्षा करने में नाकाम रहे। उन्होंने नरसंहार की जांच के लिए एक संयुक्त जांच दल (जेआईटी) के गठन की मांग की।
रिपोर्ट के मुताबिक कुर्रम के डिप्टी कमिश्नर जावेदउल्लाह महसूद ने मृतकों की संख्या की पुष्टि की और कहा कि सामान्य स्थिति बहाल करने के प्रयास जारी हैं।
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