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नई दिल्ली: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब से चुनाव जीते हैं, तब से सोना और क्रिप्टोकरेंसी चर्चा में है। ट्रंप से 5 नवंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति पद का चुनाव जीता था। तब से लेकर अब तक सोने में जहां गिरावट देखी जा रही है, वहीं क्रिप्टोकरेंसी के भाव आसमान छू रहे हैं। पिछले एक महीने में क्रिप्टोकरेंसी के रेट दोगुने से ज्यादा तक हो गए हैं। वहीं सोने की कीमत गिरी है।
सोने में निवेशकों का विश्वास
सोना निवेशकों की पहली पसंद रहा है। यह पसंद सिर्फ आम निवेशकों की ही नहीं, बल्कि कई देश भी अपना सोने का भंडार बढ़ा रहे हैं। इनमें भारत और चीन प्रमुख हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि सोने को एक सेफ एसेट के रूप में देखा जाता है। यानी इसका इस्तेमाल किसी भी समय संकट के समय किया जा सकता है। वहीं भारतीयों में सोने के प्रति लगाव वैसे भी ज्यादा रहा है। त्योहारी सीजन से लेकर वेडिंग सीजन तक में इसकी काफी मांग रहती है। वहीं काफी निवेशक सोने में निवेश भी करते हैं। हालांकि पिछले कुछ समय से इसकी कीमत में भारी उतार-चढ़ाव रहा है।
सोना क्यों रह जाएगा पीछे?
दुनिया के कई देशों में व्यापार का भुगतान अमेरिका डॉलर में होता है। चूंकि डोनाल्ड ट्रंप डॉलर के समर्थक रहे हैं। वह डॉलर को मजबूत करना चाहते हैं। अपने पहले कार्यकाल में वह ऐसा कर भी चुके हैं। डॉलर मजबूत होने से सोने की कीमत में गिरावट आती है। ऐसे में ट्रंप के शासन में डॉलर जितना मजबूत होगा, सोने की कीमत उतनी की कम होगी। ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद हम इसका उदाहरण देख भी चुके हैं। ट्रंप के कुर्सी संभालने से पहले ही डॉलर की कीमत रुपये को काफी पीछे छोड़ चुकी है। दुनिया की कई करेंसी के मुकाबले डॉलर की कीमत ज्यादा हो गई। नतीजा यह हुआ कि दुनिया में सोना काफी सस्ता हो गया। भारत में जहां धनतेरस पर सोना 80 हजार को पार कर गया था, उसकी कीमत 70 हजार रुपये के करीब आ गई थी।
क्रिप्टोकरेंसी की क्या स्थिति?
ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद से लेकर अब तक क्रिप्टोकरेंसी में भारी उछाल आ चुका है। एक महीने में क्रिप्टोकरेंसी ने सोने से कहीं ज्यादा रिटर्न दिया है। बिटकॉइन एक लाख डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है। डॉगकॉन दोगुने ज्यादा रिटर्न दे चुका है। वहीं दूसरी क्रिप्टोकरेंसी भी निवेशकों को अच्छा रिटर्न दे रही हैं।
क्यों बढ़ रही क्रिप्टो की कीमत?
क्रिप्टोकरेंसी में उछाल का सबसे बड़ा कारण है कि ट्रंप इसके समर्थक रहे हैं। वहीं दूसरी ओर दुनिया के सबसे अमीर कारोबारी एलन मस्क भी क्रिप्टोकरेंसी की वकालत करते रहे हैं। अमेरिका में हुए इस चुनाव में मस्क ने ट्रंप का समर्थन किया था। ट्रंप ने मस्क को सरकारी दक्षता विभाग का प्रमुख बनाया है। मस्क के अलावा ट्रंप ने अमेरिकी ब्रोकरेज और इन्वेस्टमेंट बैंक कैंटर फिट्जगेराल्ड के प्रमुख हॉवर्ड लुटनिक को कॉमर्स सेक्रेटरी के लिए नामित किया है। लुटनिक क्रिप्टोकरेंसी के काफी बड़े समर्थक हैं। साथ ही ट्रंप ने यूएस सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन के प्रमुख के लिए पॉल एटकिंस के नाम का प्रस्ताव रखा है। मौजूदा अध्यक्ष गैरी जेन्सलर के विपरीत, एटकिंस का क्रिप्टोकरेंसी के मामले में सकारात्मक दृष्टिकोण है। वह क्रिप्टोकरेंसी के बड़े समर्थक हैं।
ऐसे बढ़ेगी क्रिप्टोकरेंसी की मांग
क्या ट्रंप करेंगे समर्थन?
चुनावी वादों और मौजूदा स्थिति को देखते हुए माना जा रहा है कि ट्रंप क्रिप्टोकरेंसी में व्यापार के लिए छूट दे सकते हैं। हालांकि इसके बारे में वह कोई निर्णय राष्ट्रपति की कुर्सी संभालने के बाद ले सकते हैं। ट्रंप जनवरी में राष्ट्रपति का पद संभालेंगे। अगर वह डॉलर और क्रिप्टो पर ध्यान देते हैं तो आने वाले समय में सोने की चमक फीकी पड़ सकती है।
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