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नई दिल्ली, भारत में 'जेनरेशन बीटा' के पहले बच्चे का जन्म मिजोरम में हुआ है। बच्चे का नाम फ्रेंकी रखा गया है और उसके पिता का नाम जेड्डी रेमरुअत्संगा और मां का नाम रामजिरमावी है। बच्चे का जन्म 1 जनवरी लगने के 3 मिनट बाद ही यानी 12:03 पर हुआ। इस पीढ़ी की शुरुआत 1 जनवरी 2025 से हो गई है। आमतौर पर पीढ़ियों में परिवर्तन करीब 20 साल में होता आया है, लेकिन इस बार महज 11 साल के अंतराल पर ही जेनरेशन बीटा आ गई है। 2013 से 2024 तक पैदा हुए बच्चों को 'जेनरेशन अल्फा' कहा जाता है। वहीं इससे पहले 1995 से 2012 तक पैदा हुए बच्चे जेनरेशन जेड कहलाए थे। जेनरेशन जेड उस पीढ़ी को कहा गया था, जो वैश्विक कनेक्टिविटी के साथ ही बड़ी हुई थी। वहीं जेनरेशन अल्फा उस पीढ़ी को कहा गया, जिन्हें जन्म के साथ ही हाईस्पीड इंटरनेट की सुविधा मिली थी।
क्या है जेनरेशन बीटा और किसने दिया यह नाम
इसी तरह पहले की पीढ़ियों का नामकरण भी तात्कालिक परिस्थितियों के आधार पर किया गया था। दुनिया की परिस्थितियों और उन पीढ़ियों के हालात को ध्यान में रखते हुए ही अब तक नामकरण किए गए हैं। जेनरेशन बीटा उस पीढ़ी को कहा गया है, जो इंटरनेट से जुड़ी तमाम सुविधाओं के बीच पैदा हुई है और जिनके लिए हर सुविधा महज एक क्लिक की दूरी पर ही है। होम डिलिवरी, टीवी, इंटरनेट समेत ऐसी तमाम सुविधाएं हैं, जिनसे महज एक क्लिक पर ही बच्चे काफी चीजें हासिल कर सकते हैं। जेनरेशन बीटा शब्द मार्क मैक्रिंडल ने गढ़ा है, जो समाजविज्ञानी हैं। उनके अनुसार 2025 से 2039 तक का दौर तकनीक के लिहाज से अहम होगा और इस अवधि में पैदा होने वाले बच्चों को 'जेन बीटा' के नाम से जाना जाएगा।
किसे मिला था ग्रेटेस्ट जेनरेशन का तमगा
समाजविज्ञानियों के अनुसार आमतौर पर एक पीढ़ी 15 से 20 साल की अवधि की होती है। पीढ़ी का नामकरण उस दौर की सांस्कृतिक, आर्थिक और तकनीकी घटनाओं के आधार पर होता है। जैसे 1901 से 1924 के दौर में पैदा हुई पीढ़ी को ग्रेटेस्ट जेनरेशन कहा गया था क्योंकि इन लोगों ने महामंदी और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अपना जीवनयापन किया था। इन लोगों को पारंपरिक मूल्यों के लिए जाना गया था, जो अपने बेसिक्स पर टिके रहे और बच्चों की परवरिश तक के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा। इसके बाद साइलेंट जेरनेशन की बारी आई थी, जिसकी अवधि 1925 से 1945 तक मानी गई थी। महामंदी और दूसरे विश्व युद्ध के परिणामों के चलते इस पीढ़ी को यह नाम मिला था। इस पीढ़ी को काफी मेहनती और आत्मनिर्भर माना गया था।
कौन थी बेबी बूमर जेनरेशन, जिस दौर में खूब बढ़ी आबादी
इसी तरह एक दिलचस्प नाम बेबी बूमर जेनरेशन भी है। यह बेबी बूमर जेनरेशन 1946 से 1964 के बीच की थी। माना जाता है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद पूरी दुनिया में ही बड़े पैमाने पर आबादी में इजाफा हुआ था। कई देशों ने तो एक नीति के तहत जनसंख्या में इजाफा किया था। हालांकि बीते करीब दो दशकों से दुनिया के कई देश अब बढ़ती आबादी से भी परेशान हैं और उसे नियंत्रित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं 1965 से 1979 तक के पैदा हुए लोगों को जेनरेशन एक्स कहा गया था। इस पीढ़ी के दौर में ही इंटरनेट की शुरुआत हुई और इन्होंने खुद को तेजी से बदला था। फिर 1981 से 1996 तक जेनरेशन वाई थी, इस पीढ़ी के लोगों के बारे में माना जाता है कि इन्होंने तकनीक के साथ खुद को तेजी से बदला और हर चीज से अपडेट होते रहे।
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