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संयुक्त राष्ट्र अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) के मिशन प्रमुख मोहम्मद रेफ़ात ने शुक्रवार को जिनीवा में कहा कि सूडान के लोग घेराबन्दी जैसी परिस्थितियों में फँसे हुए हैं, "जहाँ से निकलने का कोई रास्ता नहीं है, कोई उम्मीद नहीं है और अक्सर उन्हें अकल्पनीय दुर्व्यवहार का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ता है." सूडान में IOM के मिशन प्रमुख मोहम्मद रेफ़ात ने ख़ारतूम से लौटने के बाद यह बात कही, जहाँ हिंसा की वजह से पहले जाना लगभग असम्भव था. फ़िलहाल, सूडानी सशस्त्र बलों (SAF) ने देश की राजधानी ख़ारतूम को फिर से अपने नियंत्रण में ले लिया है.अप्रैल 2023 में SAF और अर्द्धसैनिक बल त्वरित समर्थन बल (RSF) के बीच युद्ध छिड़ने का ख़ामियाज़ा आम नागरिक भुगत रहे हैं. हाल के सप्ताहों में राजधानी ख़ारतूम के आसपास उन इलाक़ों में भीषण हिंसक टकराव हुआ, जोकि RSF के क़ब्ज़े में थे. मिशन प्रमुख रेफ़ात ने कहा कि शहर में विनाश के स्तर को देखकर वह भी स्तब्ध हैं. वहाँ “बिजली स्टेशनों को लूट लिया गया है; पानी की पाइपें नष्ट कर दी गई हैं और मैं सिर्फ कुछ जगहों की बात नहीं कर रहा हूँ. मैं उन सभी स्थानों की बात कर रहा हूँ, जहाँ मैं गया हूँ.” उन्होंने बताया कि लीबिया और यमन सहित अन्य युद्ध परिस्थितियों में काम करने के अनुभव के बावजूद, ख़ारतूम के बहरी में नज़र आया विनाश अकल्पनीय है. उन्होंने कहा, "न सिर्फ़ लोगों के घरों को निशाना बनाया गया है, बल्कि प्रशासनिक क्षेत्रों, सैन्य क्षेत्रों और उन सभी बुनियादी ढाँचों को भी निशाना बनाया गया है, जो लोगों के जीवन के लिए अहम है.”उन्होंने कहा कि लगभग दो साल के युद्ध के बाद, सूडानी राजधानी में लौटने वाले सभी लोगों की मदद के लिए, बड़े पैमाने पर फिर से निवेश की आवश्यकता होगी. भयावह दृश्य मिशन प्रमुख रेफ़ात ने एक बुज़ुर्ग गणित शिक्षिका (सारा) से अपनी मुलाक़ात का ज़िक्र किया, जो इस हिंसा के दौरान कहीं और नहीं जा सकीं. उन्होंने अपने दिन डर में गुज़ारे, उन्होंने अपनों को खोया, घरों को नष्ट होते देखा और हिंसा व यौन शोषण के स्थाई ख़तरे के बीच घिरी रहीं. उन्होंने बताया, "सारा ने मजबूरी में रहने का फैसला किया. एक बुज़ुर्ग महिला के लिए पैदल जाना ख़तरनाक और चुनौतीपूर्ण रहा होता, और उनके पास कोई अन्य साधन नहीं है."धन की कमी की वजह से कई ग़ैर -सरकारी संगठनों ने काम करना बन्द कर दिया है या उनके कार्यों में कमी आई है. उन्होंने कहा कि सारा जैसे कई और लोग हैं, जिन्हें कोई सहायता नहीं मिली है.मिशन प्रमुख रेफ़ात ने कहा कि, "केवल सदस्य देशों से ही नहीं, बल्कि प्रवासियों से मिलने वाली रक़म और परोपकारी संस्थाओं से मिलने वाला धन समाप्त हो गया है… दवा, आश्रय, पेयजल, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के लिए अधिक वित्तीय सहायता की तत्काल आवश्यकता है.इस वर्ष, IOM ने सूडान में लगभग 17 लाख लोगों की सहायता के लिए 25 करोड़ डॉलर की अपील की है, लेकिन अब तक 10 प्रतिशत से भी कम धनराशि प्राप्त हुई है.जटिल, चुनौतीपूर्ण हालात संयुक्त राष्ट्र प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने चिन्ता जताई है कि सरकारी बलों द्वारा राजधानी पर नियंत्रण स्थापित करने के बाद हिंसा और न्यायेतर हत्याओं के डर से आम नागरिक ख़ारतूम शहर से भाग रहे हैं.संयुक्त राष्ट्र सहायता समन्वय कार्यालय (OCHA) के अनुसार, पिछले सप्ताह में, लगभग पाँच हज़ार विस्थापित लोग कोर्दोफ़ान के जबरात अल शेख़ पहुँचे, इसमें से अधिकतर लोग ख़ारतूम से थे. इन परिवारों को तत्काल भोजन, स्वच्छ पानी, आश्रय और स्वास्थ्य व्यवस्था की आवश्यकता है. मिशन प्रमुख रेफ़ात ने कहा कि पूरे देश में "जटिल और चुनौतीपूर्ण” हालात बने हुए हैं,” कुछ जगहों पर आमजन अपनी सुरक्षा के लिए भाग रहे हैं और अन्य स्थानों पर अपने घर लौटने की कोशिश कर रहे हैं, जहाँ बुनियादी सेवाएँ ध्वस्त हो चुकी हैं. यूएन प्रवक्ता दुजैरिक ने कहा, "... हम सभी पक्षों को याद दिलाते हैं कि अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के तहत, ज़रूरतमन्द आम नागरिकों के लिए तेज़ी से, बेरोकटोक और निष्पक्ष मानवीय सहायता की अनुमति देना और सुविधा प्रदान करना उनका क़ानूनी दायित्व है."
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