It is recommended that you update your browser to the latest browser to view this page.

Please update to continue or install another browser.

Update Google Chrome

भोजन बर्बादी रोकने, भूख से निपटने और मीथेन उत्सर्जन घटाने के लिए नई पहल
By Lokjeewan Daily - 17-11-2025

दुनिया में हर साल, करोड़ो लोगों को भरपेट भोजन नही मिल पाता है, जबकि एक अरब टन से अधिक खाद्य सामग्री बर्बाद हो जाती है. यह संसाधनों की विशाल बर्बादी तो है ही, वैश्विक ग्रीनहाउस गैस और मीथेन उत्सर्जन में वृद्धि होने की वजह भी है, जोकि जलवायु परिवर्तन के लिए ज़िम्मेदार हैं. इसके मद्देनज़र, यूएन जलवायु शिखर सम्मेलन (COP30) में एक नई पहल शुरू की गई है. इस पहल का लक्ष्य, वर्ष 2030 तक, भोजन की बर्बादी में 50 फ़ीसदी तक की कमी लाना है.संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के एक अनुमान के अनुसार, एक अरब टन भोजन की बर्बादी के अलावा, क़रीब एक हज़ार अरब डॉलर की हानि होती है, कुल वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 10 प्रतिशत का योगदान होता है, और यह लगभग 14 प्रतिशत मीथेन उत्सर्जन की भी वजह है.मीथेन एक ऐसा जलवायु प्रदूषक है जोकि 20 वर्षों की अवधि में, कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में वातावरण का तापमान 20 गुना अधिक बढ़ा सकता है. Tweet URL

 

इसलिए, पर्यावरण विशेषज्ञों ने भोजन की बर्बादी में कमी लाने पर बल दिया है और इसे जलवायु परिवर्तन व भूख संकट से निपटने के समाधानों एक अहम, क़िफ़ायती समाधान बताया है.यूएन पर्यावरण एजेंसी और साझेदार संगठनों ने बेलेम में कॉप30 सम्मेलन के दौरान, जलवायु परिवर्तन की रफ़्तार को घटाने के लिए ‘Food Waste Breakthrough’ नामक इस पहल को पेश किया है. इसका लक्ष्य है: 2030 तक खाद्य बर्बादी में 50 फ़ीसदी की कमी लाना और मीथेन उत्सर्जन में 7 प्रतिशत की गिरावट सुनिश्चित करना. UNEP की कार्यकारी निदेशक इंगेर ऐंडरसन ने कहा कि इस खाद्य बर्बादी में कमी लाना, भूख व कूड़ाघरों में होने वाले मीथेन उत्सर्जन से निपटने का एक अहम उपाय है. इस पहल के ज़रिए वैश्विक तापमान में कमी लाने, धन बचाने और खाद्य असुरक्षा से निपटने में मदद मिलेगी, और ज़रूरतमन्दों के लिए पोषक आहार भी सुनिश्चित किया जा सकता है.कॉप30 के लिए जलवायु चैम्पियन डैन इश्पे ने आगाह किया कि यदि भोजन बर्बादी को नहीं रोका गया तो 2050 तक, मीथेन उत्सर्जन का असर दोगुना हो सकता है, जिससे जलवायु व खाद्य सुरक्षा पर गहरा असर होगा.“मगर, समाधान हमारे हाथों में है. सरकारों, शहरों, व्यवसायों, और विश्व भर में समुदायों को एक साथ लेकर हम 2030 तक खाद्य बर्बादी को आधा कर सकते हैं, और भोजन को कूड़ाघरों से दूर रख सकते हैं.”बेलेम में पेश की गई इस पहल को ब्राज़ील, जापान और ब्रिटेन के अलावा अनेक शहरों, जैसेकि अम्मान, मैक्सिको सिटी, पेरिस, रियो डी जनेरो, बैंकॉक, मिलान समेत अन्य शहरों, और सिटीबैंक, गूगल, हिल्टन सहित अन्य कम्पनियों का समर्थन प्राप्त है.30 लाख डॉलर की वित्तीय मदद से चार वर्ष के लिए एक परियोजना लागू की जाएगी, जिसके ज़रिए, भोजन बर्बादी की रोकथाम करने, मीथेन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए साबित हो चुके समाधानों को देशों व शहरों के स्तर पर अपनाया जाएगा.यूएन एजेंसी अन्य वित्तीय संस्थाओं और फ़ाउंडेशन के साथ मिलकर भी विचार-विमर्श में जुटा है, ताकि शहरों में युवाओं की अगुवाई में भोजन की बर्बादी की रोकथाम के लिए समुदाय आधारित नवाचारी समाधानों को प्रोत्साहन दिया जा सके.

अन्य सम्बंधित खबरे