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बीकानेर,। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि स्वच्छ पर्यावरण के लिए प्राकृतिक खेती अपनाए जाने की जरूरी है। उन्होंने कहा कि रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से जमीन की उर्वरा शक्ति क्षीण हो रही है। इनके अंधाधुंध उपयोग से कैंसर जैसे असाध्य रोगियों की संख्या भी बढ़ रही है।
राज्यपाल बागडे गुरुवार को कृषि विश्वविद्यालय के विद्या मंडप में 'प्राकृतिक खेती पर जागरूकता कार्यक्रम' विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
बागडे ने कहा कि पचास साल पहले तक कोई भी रासायनिक उर्वरकों का उपयोग नहीं करता था। परिस्थितिवश इनका उपयोग शुरू हुआ। आज इन उर्वरकों के अनेक दुष्परिणाम हमारे सामने हैं। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए गांव का पानी, गांव में ही रुके, ऐसे प्रयास किए जाएं। उन्होंने शून्य खर्च आधारित खेती के बारे में बताया और कहा कि यह भूमि अन्नपूर्णा है। सकारात्मक तरीके से इसका जितना उपयोग करेंगे, यह अधिक लाभ देगी।
राज्यपाल ने कहा कि एक दौर था जब देश के 40 करोड़ लोगों का पेट भरने हमारे पास पर्याप्त अन्न नहीं था। इस दौर में हमारे अन्नदाताओं ने भरपूर मेहनत की। इसकी बदौलत आज 140 करोड़ देशवासियों का पेट भरने के बाद भी हमारे अन्न के भंडार भरे हुए हैं। उन्होंने कृषि के साथ गोपालन करने का आह्वान किया। प्रदेश की गो आधारित सहकारिता कार्यों की सराहना की और कहा कि कृषि और पशुपालन से किसानों की आय बढ़ेगी। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित संगोष्ठी से प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने ऐसे आयोजन समय-समय पर आयोजित करने का आह्वान किया।
केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि कृषि और कृषक कल्याण, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सर्वोच्च प्राथमिकता है। मोदी के नेतृत्व में किसानों का सम्मान बढ़ा है। उन्होंने रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों के बारे में बताया और कहा कि हमें प्राकृतिक खेती की ओर लौटना होगा। उन्होंने स्वामी केशवानंद के शिक्षा के विकास में दिए गए योगदान को याद किया और कहा कि 9 दिसंबर 1925 को महाराजा गंगासिंह ने नहर लाने की कार्ययोजना शुरुआत की। उसके सौ वर्ष पूर्ण होने पर 'बीकानेर के सुशासन के सौ वर्ष' कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसमें उद्योग, साहित्य, कृषि, पत्रकारिता आदि के क्षेत्र में उल्लखेनीय कार्य करने वाली प्रतिभाओं को सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने श्रीअन्न (मोटे अनाज) को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता जताई और कहा कि राजस्थानी वनस्पति फोगला, केर, सांगरी और तुंबा आदि पर अनुसंधान किए जाने की जरूरत है।
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने कहा कि प्राकृतिक खेती हमारी प्राचीनतम पद्धति है। यह भूमि का प्राकृतिक स्वरूप बनाए रखती है। इस खेती में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि आज रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध उपयोग के कारण भूमि की उर्वरा शक्ति प्रभावित कर रहा है। मानव के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए हमें प्राकृतिक खेती की ओर लौटना होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वप्न है कि देश का किसान खुशहाल हो।
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