It is recommended that you update your browser to the latest browser to view this page.

Please update to continue or install another browser.

Update Google Chrome

ACB के तत्कालीन DIG के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज, 9.50 लाख की रिश्वत लेने का मामला
By Lokjeewan Daily - 02-05-2024

। भजनलाल सरकार ने दूदू कलेक्टर के बाद अब आईपीएस अफसर तत्कालीन डीआईजी विष्णुकांत समेत दो अन्य खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।यह मामला 2021 में रिश्वत मामले में पकड़े गए आरोपियों में से एक को बाहर निकालने से संबंधित है। इसमें 9.50 लाख रुपए का लेनदेन हुआ है। एसीबी ने मामले की जांच शुरू कर दी है। आईपीएस अफसर विष्णुकांत आईजी (होमगार्ड) हैं।



इस मामले में उपनिरीक्षक सत्यपाल पारीक ने परिवाद के जरिये मामला दर्ज कराया था। सत्यपाल पारीक ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि भ्रष्टाचार के एक मामले में एक आरोपी का नाम हटाने के लिए यह सौदा हुआ था। जबकि जांच में उसकी भूमिका सही पाई गई थी। एसीबी ने परिवादी सब इंस्पेक्टर की ओर से पेश तथ्यों की जांच की तो इस बात को सही माना कि आरोपी अफसर व पुलिसकर्मियों ने लेनदेन कर एक आरोपी को केस से बाहर निकाल दिया है। अब एसीबी ने आईपीएस अधिकारी विष्णुकान्त और रिश्वत देने वाले हेड कांस्टेबल सरदार सिंह, उसके भाई प्रताप सिंह के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। डीआईजी विष्णु कांत के खिलाफ सत्यपाल पारीक ने यह परिवाद जनवरी 2023 में दे दिया था, लेकिन एसीबी ने मामले में रुचि नहीं दिखाई। मजबूरन सत्यपाल पारीक को कोर्ट की शरण लेनी पड़ी। बाद में कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई हुई।



इस मामले की शुरुआत 4 अक्टूबर 2021 को हुई, जब एसीबी ने जवाहर सर्किल के कांस्टेबल लोकेश कुमार को रिश्वत लेते पकड़ा था। इस मामले में हेड कांस्टेबल सरदार सिंह भी गिरफ्तार हुआ था। जांच अधिकारी उप अधीक्षक सुरेश कुमार स्वामी ने लोकेश कुमार शर्मा के खिलाफ चालान पेश कर दिया और सरदार सिंह के खिलाफ अभियोजन के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं मानते हुए प्रकरण से उसका नाम हटाने की अनुशंसा की। उस समय के डीआईजी विष्णुकांत ने उप निदेशक अभियोजन से राय मांगी। उप निदेशक अभियोजन ने सरदार सिंह की अपराध में संलिप्तता बताते हुए अनुसंधान अधिकारी से विचार विर्मश कर निर्णय लेने की अनुशंसा की। डीआईजी विष्णुकांत ने बिना विचार विमर्श ही अनुसंधान अधिकारी की राय से सहमति जताते हुए सरदार सिंह के खिलाफ अपराध प्रमाणित नहीं माना और उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की।

अन्य सम्बंधित खबरे