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जयपुर: राजस्थान की भाजपा सरकार पुलिस महकमे में आमतौर पर काम लिए जाने वाले उर्दू शब्दों की जगह हिंदी शब्दों का इस्तेमाल करेगी। पुलिस विभाग की ओर से इस तरह के शब्दों और उनके हिंदी विकल्पों की जानकारी जुटाई जा रही है। विभाग ने इस संबंध में राज्य के गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम के पत्र के बाद पुलिस मुख्यालय ने ऐसे शब्दों और उनके हिंदी विकल्पों के बारे में जानकारी मांगने की कवायद शुरू कर दी है।
डीजीपी ने दिए उर्दू शब्दों का ब्योरा जुटाने को कहा
पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) यू आर साहू ने पिछले महीने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (प्रशिक्षण) को पत्र लिखकर उन उर्दू शब्दों का ब्योरा जुटाने को कहा था जो पुलिस के कामकाज में आमतौर पर इस्तेमाल हो रहे हैं। उन्होंने निर्देश दिया था कि वे पता लगाएं कि पुलिसिंग में उर्दू के कौन-कौन से शब्द इस्तेमाल हो रहे हैं और उनकी जगह कौन से हिंदी शब्द उपयुक्त हो सकते हैं। पत्र में उन्होंने सभी प्रशिक्षुओं को नए हिंदी शब्दों से अवगत कराने, प्रशिक्षण सामग्री से उर्दू शब्दों को हटाने और चल रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों में नए हिंदी शब्दों की जानकारी प्रसारित करने के भी निर्देश दिए थे। पुलिस अधिकारी ने बताया कि राज्य पुलिस मुख्यालय के निर्देशों के अनुपालन में जिला पुलिस अधीक्षकों को उर्दू शब्दों और उनके हिंदी प्रतिस्थापन के बारे में जानकारी एकत्र करने को कहा गया है।
इन शब्दों को बदला जा सकता पुलिस भाषा में
वहीं कांग्रेस महासचिव स्वर्णिम चतुर्वेदी ने इस कवायद को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह अनुचित काम है। उन्होंने कहा कि ऐसे निर्देशों के बजाय राज्य सरकार को कानून व्यवस्था को सुधारने और अपराधों पर अंकुश लगाने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ती जा रही है जिसकी सरकार को कोई परवाह नहीं है। उन्होंने कहा कि लंबे समय से चलन में रहे शब्दों को बदलने के बजाय सरकार को अपराध पर नियंत्रण और कानून व्यवस्था को बहाल करने के लिए प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि ऐसे कई शब्द हैं जो आमतौर पर पुलिस महकमे में उपयोग किए जाते हैं। इनमें मुकदमा (मामला), मुल्जिम (आरोपी), मुस्तगिस (शिकायतकर्ता), इल्जाम (आरोप), इत्तिला (सूचना), जेब तराशी (जेब काटना), फर्द बरामदगी (वसूली मेमो) जैसे अनेक शब्द शामिल हैं।
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