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अजमेर के डिग्गी बाजार में गुरुवार सुबह नाज होटल की आग ने न सिर्फ चार जिंदगियां लील लीं, बल्कि एक खौफनाक मंजर शहर के सीने पर छोड़ गई। सुबह 8 बजे जैसे ही बाजार की हलचल शुरू हो रही थी, होटल की एक मंजिल से धुआं उठने लगा और देखते ही देखते आग ने पूरी इमारत को घेर लिया। पांच मंजिला इमारत में फंसे लोगों की चीखें, खिड़कियों से बाहर झांकती उम्मीदें और जिंदगी को बचाने की नाकाम कोशिशें—यह मंजर दिल दहला देने वाला था।
मौत के मुंह से छलांग
होटल की चौथी मंजिल पर फंसे एक युवक ने आग से बचने के लिए जो फैसला किया, वह जिंदगी और मौत के बीच की एक पतली रेखा पर चलना था। उसने खुद चौथी मंजिल से दूसरी बिल्डिंग पर छलांग लगा दी। नीचे गली में गिरते ही वह बेसुध हो गया। सिर में गंभीर चोटें आईं लेकिन जान बच गई। इसी मंजिल से एक महिला ने अपने डेढ़ साल के मासूम को खिड़की से नीचे फेंका, जहां मौजूद लोगों ने उसे लपक लिया। उस मां के दिल पर क्या बीती होगी, इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता।
जिंदा जल गए चार लोग
जेएलएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अनिल सामरिया के अनुसार आठ लोग अस्पताल लाए गए थे। इनमें से चार की मौत हो चुकी है। मृतकों में एक चार साल का मासूम भी शामिल है। बाकी चार गंभीर रूप से झुलसे हैं, जिनमें से एक व्यक्ति 90 फीसदी तक जल चुका है। बाकी तीन 50 से 60 फीसदी तक झुलसे हैं। जान गंवाने वालों में दिल्ली के मोती नगर निवासी मोहम्मद जाहिद (40), एक 30 साल की महिला, 20 साल का युवक और एक 40 वर्षीय व्यक्ति शामिल हैं।
संकरी गलियों ने बढ़ाई मुसीबत
होटल तक पहुंचने वाला रास्ता इतना संकरा था कि दमकल की गाड़ियों को पास तक आने में दिक्कत हुई। आग तेजी से फैली और लोगों को बाहर निकालने में रेस्क्यू टीम को पसीना आ गया। पुलिस और दमकल कर्मियों की तबीयत तक बिगड़ गई। मौके पर एएसपी हिमांशु जांगिड़ और अन्य पुलिस अधिकारी मौजूद थे। राहत और बचाव कार्य के दौरान कई स्थानीय लोग भी मदद में जुटे रहे।
आग कैसे लगी?
प्रत्यक्षदर्शी मांगीलाल कलोसिया के अनुसार, आग की शुरुआत एक धमाके से हुई—संभवतः एसी फटने की आवाज थी। इसके तुरंत बाद धुंआ और लपटें ऊपर की मंजिलों तक पहुंच गईं। फायर ब्रिगेड को मौके पर पहुंचने में करीब आधा घंटा लगा। इस बीच लोगों ने खिड़कियों के शीशे तोड़कर कई लोगों को बाहर निकालने की कोशिश की।
होटल में ठहरे थे जायरीन
बताया जा रहा है कि होटल में बड़ी संख्या में धार्मिक यात्रा पर आए जायरीन ठहरे हुए थे। सुबह के समय अधिकांश लोग अपने कमरों में थे और इसी वजह से फंसे रह गए। 15 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। लेकिन जिनकी जान नहीं बच सकी, उनके लिए यह सुबह आखिरी बन गई।
अजमेर की ये सुबह अब हमेशा एक खौफनाक याद बनकर शहर की हवाओं में तैरती रहेगी। उस खिड़की से गिराया गया बच्चा, चौथी मंजिल से कूदा युवक, और लपटों में घिरी जिंदगी—इन सबने इंसानियत की एक और त्रासदी को जन्म दिया है।
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