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बड़ा जमावड़ा देखने को मिला। इस श्रद्धांजलि सभा में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, सांसदों, विधायकों, पूर्व मंत्रियों और कार्यकर्ताओं ने राजेश पायलट को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। यह केवल एक श्रद्धांजलि सभा नहीं रही, बल्कि इसे कांग्रेस का राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन भी माना जा रहा है — खासतौर पर अशोक गहलोत और सचिन पायलट की एक मंच पर उपस्थिति के चलते।
सचिन पायलट ने दिया व्यक्तिगत न्योता, गहलोत की मौजूदगी बनी चर्चा का विषयपूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की उपस्थिति ने इस आयोजन को और अधिक राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बना दिया। जानकारों के मुताबिक, गहलोत को इस कार्यक्रम में आमंत्रित करने खुद सचिन पायलट उनके आवास पर पहुंचे थे। इस आत्मीय आमंत्रण के बाद गहलोत की दौसा यात्रा को दोनों नेताओं के बीच रिश्तों में नरमी के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर आयोजित सभा में प्रार्थना के बाद उनकी जीवनी पर आधारित डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी दिखाई गई, जिससे पायलट के योगदान और राजनीतिक सफर की झलक लोगों के सामने आई।
कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की मौजूदगी, भीड़ ने भरा जोश
श्रद्धांजलि सभा में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राजेश पायलट की पत्नी रमा पायलट और बेटे सचिन पायलट के साथ कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, पूर्व मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास, हरीश चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री महादेव सिंह खंडेला, जितेंद्र सिंह, दिव्या पूनिया, दातारामगढ़ विधायक वीरेंद्र सिंह, अलका लांबा, ममता भूपेश, डीसी बैरवा, अनीता जाटव, ओमप्रकाश हुड़ला, इंद्रराज गुर्जर, सांसद मुरारीलाल मीणा, हेमाराम चौधरी, मुकेश भाकर, मनीष यादव, बृजेंद्र ओला, कांतिलाल मीणा, सुरेश मोदी, जीआर खटाना, राजीव अरोड़ा, अर्चना शर्मा, धीरज गुर्जर, प्रशांत बैरवा, अजय बोहरा, निर्मल चौधरी और जिलाध्यक्ष रामजीलाल ओड सहित बड़ी संख्या में कांग्रेस पदाधिकारी, विधायक, पूर्व मंत्री और कार्यकर्ता शामिल हुए।
इन नेताओं की मौजूदगी ने कार्यक्रम को एक राजनीतिक सभा जैसा आकार दे दिया, जहां कांग्रेस के अंदरूनी समीकरणों पर चर्चा होना लाज़मी था।
राजनीतिक संकेत : क्या फिर से पास आ रहे हैं गहलोत और पायलट?
राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर हर साल आयोजन होते हैं, लेकिन इस बार गहलोत की मौजूदगी ने इसे विशेष बना दिया। पिछले कुछ वर्षों में राजस्थान कांग्रेस की राजनीति में गहलोत और सचिन पायलट के बीच खटास किसी से छुपी नहीं रही है। लेकिन इस मौके पर साथ-साथ मंच साझा करना, साथ बैठना और सार्वजनिक रूप से सम्मान व्यक्त करना कांग्रेस के भीतर एकता की नई कोशिश के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
हालांकि, कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सिर्फ एक सांकेतिक मेल-मिलाप हो सकता है, जो आगामी चुनावों के मद्देनज़र पार्टी की एकजुटता को दर्शाने का प्रयास है।
राजेश पायलट की विरासत और राजनीतिक प्रभाव
राजेश पायलट का कांग्रेस पार्टी में बेहद सम्मानित स्थान रहा है। वे एक कुशल राजनेता, बेहतरीन वक्ता और ज़मीनी नेता माने जाते थे। उन्होंने भारतीय वायुसेना से लेकर संसद तक का सफर तय किया और कई अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली। उनकी पुण्यतिथि पर इस तरह का आयोजन, खासतौर पर दौसा जैसे उनके संसदीय क्षेत्र में, कांग्रेस कार्यकर्ताओं में ऊर्जा और प्रेरणा का संचार करता है।
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