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गुर्जरों की मांगों पर भजनलाल सरकार गंभीर, तीन सदस्यीय मंत्रिमंडल सब कमेटी का किया गठन
By Lokjeewan Daily - 30-06-2025

जयपुर। राजस्थान में गुर्जर आरक्षण आंदोलन को लेकर चली आ रही लंबे समय की मांगों पर विचार-विमर्श करने और उनके समाधान की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने महत्वपूर्ण पहल की है। रविवार को मंत्रिमंडल सचिवालय ने एक तीन सदस्यीय मंत्रिमंडलीय सब कमेटी के गठन के आदेश जारी किए हैं, जो गुर्जर समुदाय की विभिन्न मांगों पर विचार करेगी। इस नवगठित समिति में विधि एवं संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के मंत्री अविनाश गहलोत और गृह राज्यमंत्री जवाहर सिंह बेढम को शामिल किया गया है। इस समिति का गठन राज्य सरकार की ओर से गुर्जर समुदाय के साथ संवाद स्थापित करने और उनकी चिंताओं का स्थायी समाधान खोजने की दिशा में एक गंभीर प्रयास माना जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि गुर्जर समुदाय द्वारा आरक्षण की मांग को लेकर राजस्थान में लगभग दो दशकों से आंदोलन किया जा रहा है। यह आंदोलन मुख्य रूप से गुर्जरों को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से हटाकर अनुसूचित जनजाति (ST) श्रेणी में शामिल करने या सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 5% अति पिछड़ा वर्ग (MBC) आरक्षण देने की मांग पर केंद्रित रहा है।
इस आंदोलन के अगुआ रहे कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला (दिवंगत) और अब विजय बैंसला जैसे नेताओं के नेतृत्व में 2006, 2007-08, 2010, 2015 सहित कई बार बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं। कई अवसरों पर इन आंदोलनों ने उग्र रूप धारण कर लिया था, जिसमें सड़क और रेलमार्गों को अवरुद्ध किया गया था, और दुर्भाग्यवश हिंसा भी देखने को मिली थी, जिसके कारण कई लोगों की जान भी गई।
पिछली सरकारों ने भी इस मुद्दे को सुलझाने के लिए प्रयास किए थे, जिसमें 5% एसबीसी/एमबीसी आरक्षण के विधेयक पारित करना भी शामिल था, हालांकि कानूनी चुनौतियों के कारण वे अक्सर कोर्ट में खारिज हो गए। हाल ही में जून 2025 में भी, लंबित मांगों को लेकर समुदाय ने महापंचायतों का आयोजन कर सरकार पर दबाव बनाया था।
अब स्थायी समाधान की तलाशः वर्तमान में गठित यह तीन सदस्यीय मंत्रिमंडलीय सब कमेटी इसी पृष्ठभूमि में कार्य करेगी। समिति का मुख्य उद्देश्य गुर्जर समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ विस्तृत चर्चा करना, उनकी मांगों का गहन विश्लेषण करना और कानूनी तथा सामाजिक पहलुओं पर विचार करते हुए एक व्यवहार्य समाधान का प्रस्ताव तैयार करना है, जिसे राज्य सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया जा सके। इस कदम से उम्मीद है कि गुर्जर आरक्षण आंदोलन से जुड़े लंबित मुद्दों पर एक ठोस और स्थायी समाधान की राह खुलेगी, जिससे राज्य में शांति और सद्भाव बनाए रखने में मदद मिलेगी।

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