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अब घर खरीदार को नहीं देना होगा पुराने बकाया का पैसा
By Lokjeewan Daily - 19-08-2025

जयपुर। राजस्थान रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) ने एक महत्वपूर्ण मामले में घर खरीदारों के अधिकारों को मजबूत करते हुए सख्त और ऐतिहासिक है। अथॉरिटी ने 'वीरा डेवलपर्स' के एक प्रोजेक्ट में रेसिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) और बिल्डर की मनमानी पर लगाम लगाते हुए एक ग्राहक को तुरंत उसके फ्लैट का कब्जा देने और सभी आवश्यक सेवाओं को बहाल करने का निर्देश दिया है। यह मामला युवराज पाल सिंह नामक एक व्यक्ति द्वारा 'वीरा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड' के खिलाफ दायर शिकायत (संख्या: RAJ-RERA-C-N-2024-7595) से संबंधित है। शिकायतकर्ता ने प्राधिकरण को बताया कि उसने एक ऑनलाइन नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से एक LIG यूनिट नंबर C-208 खरीदी थी और 19.01.2024 को बिक्री विलेख निष्पादित किया गया था।
घर खरीद के समय, उसे एक अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) भी मिला था, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि संपत्ति पर कोई बकाया या देनदारियां नहीं हैं। लेकिन, बिक्री विलेख होने के बाद, आरडब्ल्यूए (रेसिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन), जिसका प्रबंधन 'वीरा डेवलपर्स' के पास है, ने शिकायतकर्ता से लगभग ₹1,00,000/- की बकाया रखरखाव राशि की मांग की। यह राशि उस समय से संबंधित थी जब संपत्ति उसके पिछले मालिकों के कब्जे में थी। जब शिकायतकर्ता ने यह राशि देने से इनकार कर दिया, तो आरडब्ल्यूए ने न केवल उसे फ्लैट में प्रवेश करने से रोक दिया बल्कि बिजली और पानी जैसी आवश्यक सेवाओं को भी काट दिया।
रेरा की अध्यक्ष वीनू गुप्ता ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आरडब्ल्यूए की कार्रवाई को गैरकानूनी माना। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि एक खरीददार, जिसने सद्भावना के साथ और बिना किसी देनदारी के NOC के साथ संपत्ति खरीदी है, उसे पिछले बकाया के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है ।
रेरा ने अपने आदेश में कहा कि आरडब्ल्यूए को तुरंत शिकायतकर्ता को उसके फ्लैट तक पहुंच बहाल करनी चाहिए और सभी बुनियादी सुविधाओं जैसे बिजली और पानी की आपूर्ति को बिना किसी देरी के फिर से जोड़ना चाहिए। प्राधिकरण ने यह भी निर्देश दिया कि शिकायतकर्ता केवल उस अवधि के लिए रखरखाव शुल्क का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है, जब उसे बिना किसी बाधा के यूनिट तक पहुंच और उपयोग की अनुमति दी जाती है।
रेरा का यह आदेश 15 दिनों के भीतर पालन किया जाना अनिवार्य है। इस फैसले ने न केवल युवराज पाल सिंह को राहत दी है, बल्कि उन सभी घर खरीदारों के लिए भी एक नजीर पेश की है, जो बिल्डरों और आरडब्ल्यूए की मनमानी के कारण परेशान हैं।

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