It is recommended that you update your browser to the latest browser to view this page.

Please update to continue or install another browser.

Update Google Chrome

दीपावली को लेकर तैयारी: कुम्हार के पसीने से आकार ले रहे मिट्टी के दीपक
By Lokjeewan Daily - 11-10-2024

भीलवाड़ा। जिले में दीपावली के पर्व को लेकर मिट्टी के दीपक बनाने के कुंभकारों ने काम शुरू कर दिया है। परंपरा है  कि हमारे देश में कोई भी त्यौहार बिना चाक पर तैयार किए गए बर्तन के नही मनाया जाता है। कुम्हारों के हाथ जब चाक पर थिरकने लगते हैं, तो मिट्टी भी कई आकर्षक आकारों में दीपक, गणेश प्रतिमा, लक्ष्मी प्रतिमा से लेकर कई बेहतरीन सामान स्वरूप में आ जाती है। कुम्हारों के पसीने से आकार ले रहे दीपक दीपावली पर कई घरों को रोशन करने के लिए अभी से ही शहर और गांवों के हर कोने में मिट्टी से बनने और बिकने शुरू हो चुके हैं। इन दिनों विभिन्न साइज के दीपक गढऩे में कुम्भकार परिवार जुटे हुए हैं। चाक पर दीपक बना रहे मन्नू प्रजापति का कहना है कि बदलते परिवेश में मिट्टी के दीपों को स्थान इलेक्ट्रिक झालरो ने भले ही ले लिया हो, लेकिन इसके बावजूद मिट्टी के दीपक का अपना अलग ही महत्व है। महंगाई के दौर मे मिट्टी के दीपक बनाने से लेकर पकाने तक में आने वाला खर्च भी बढ़ गया है, जिससे उन्हें मेहनत के हिसाब से आर्थिक लाभ नहीं हो पा रहा। करीब 8 हजार रुपए में आने वाला चाक का पहिया पत्थर के कारीगरों की ओर से तैयार किया जाता है। जिस पर सारे मिट्टी के बर्तन बनाए जाते है। सरकार को मिट्टी के बर्तनों के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए ताकि उनका रोजगार चल सके।
चाक पर बनते हैं मिट्टी के कई सामान
कुंभकार बताते है कि करीब आठ हजार रुपए में आने वाले चाक का पहिया बड़ी मेहनत से पत्थर के कारीगरों की ओर से तैयार किया जाता है। इस पर मिट्टी के सारे बर्तन बनाए जाते है। दीपक, घड़ा, गमला, गुल्लक, मटकी, नाद, बच्चों के खिलौने सहित अन्य उपकरण बनाए जाते हैं,लेकिन अब मिट्टी महंगी हो गई है। करीब 5000 रूपये में एक ट्रॉली आती है। जिसे परिवार की महिलाएं छानती हैं। फिर मिट्टी को गूंथा जाता है। उसके बाद बर्तन बनाए जाते हैं। दीपावली के त्योहार से डेढ़ महीने पहले से ही वह शुरू हो जाते हैं। क्योंकि नवरात्रों में घट स्थापना के लिए विभिन्न आकार के मिट्टी के घड़े बनाए जाते हैं। महंगाई के अनुसार 1 से दो रूपये तक एक दीपक बेचा जाता है। अगर कोई 100 दीपक खरीद करता है तो उसे कम भाव में दे दिया जाता है। हालांकि बाजार में विभिन्न आकार, डिजाइन और रंगों से रंगे हुए रेडीमेड दीपक भी बेचे जा रहे हैं। इन्हें लोग अपनी आवश्यकता के अनुसार खरीदकर लाते हैं और सडक़ किनारे थड़ी लगाकर बेचान किया जाता है।

अन्य सम्बंधित खबरे